इन्हीं के पास रात्रिकालीन गश्त और फील्ड दोनों की जिम्मेदारी भी रहती है। रेंज में बाघों की सुरक्षा और गश्त के लिए मात्र दो वाहन है, वह भी अक्सर केरवा चौकी के पास गश्त करते हैं जबकि भानपुर जैसे सर्किल की ओर कम चक्कर लगता है।
न वर्दी, न टार्च समरधा रेंज में बाघों के मूवमेंट के बावजूद सुरक्षा चौकीदारों की संख्या बेहद कम है। भानपुर सर्किल में मात्र २२ चौकीदारों को रखा गया है। जबकि एक बीट में तो इनकी संख्या चार से पांच ही रह जाती है। उस पर हालात यह है कि जो चौकीदार रखे जाते हैं उन्हें भी न तो कोई ट्रेनिंग दी जाती है, न ही वर्दी ही होती है।
हालात यह है कि सुरक्षा चौकीदारों को मात्र सात हजार रुपए वेतन दिया जाता है वह भी अक्सर सही समय पर नहीं मिलता। इनके पास टार्च भी नहीं होती, बिना वर्दी और टार्च सादे कपड़ों में जंगलों में दिन-रात एेसे ही घूमने वाले चौकीदार कितना सुरक्षा कर सकते हैं यह स्पष्ट है। ‘
बाघों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं, प्रत्येक सर्किल और बीट में पर्याप्त वनकर्मी और चौकीदार हैं जिन्हें संसाधन भी उपलब्ध कराए जाते हैं, ग्रामीणों को लगातार समझाइश दी जाती है, जागरूकता से सुरक्षा बेहतर की जा सकती है।Ó एके झंवर, रेंजर, समरधा