लगातार बदलाव और संशोधनों का असर है कि राजधानी का 800 हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र निर्जन हो गया। अरेरा, शाहपुरा, मनुआभान की टेकरी, श्यामला, ईदगाह, चुनाभट्टïी, मेंडोरा, मिंदोरिया, कटारा, बैरागढ़ चीचली, सरोतीपुरा, पठानकोट आदि पूरी तरह रहवासी क्षेत्र हो गए। पहाडिय़ों का अस्तित्व अंत की ओर है। भोपाल में छोटे-बड़े 18 जल संरचनाएं हैं। इनमें विभिन्न माध्यमों से गंदगी मिल रही। राजा भोज द्वारा 1010-15 में बनावाया बड़ा तालाब भी प्रदूषण व अतिक्रमण की चपेट में है। जमीन के पीएसपी लैंडयूज को भी बदलने संशोधन हुए। बड़ा तालाब कैचमेंट एरिया की कृषि भूमि तक को आवासीय में किया।