
क्या आप जानते हैं? हर गैस सिलेंडर पर होता है 50 लाख रुपए का क्लेम
भोपालः भारत मे आमतौर पर लोग रसोई गैस ( Gas cylinder ) पर ही खाना बनाते हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की सौगात मिलने के बाद तो जैसे मध्य प्रदेश ( madhya pradesh ) समेत देश के गरीब से गरीब व्यक्ति ( poor people ) के पास खुद का गैस कनेक्शन ( gas connection ) है, जिससे घर में खाना बनाने में काफी आसानी होती है। कई लोगों के घर में भारत गैस ( Bharat Gas ) का एलपीजी कनेक्शन है, तो कई लोगों के घर में इंडियन गैस ( indane gas ) का कनेक्शन है। आज के समय में रसोई गैस ( domestic gas ) हमारे जीवन की मूल ज़रूरत बन चुकी है। लेकिन क्या आपको पता है कि, आपके घर में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसोई गैस कनेक्शन का 50 लाख ( 50 lakh. ) रुपये तक बीमा ( insurence ) होता है। चंद लोगों को ही इस बात की जानकारी होगी। इसका कारण यह है कि, पिछले 25 सालों में अब तक मध्य प्रदेश समेत देशभर में किसी ने भी एलपीजी बीमा के लिए क्लेम नहीं किया है। वहीं, एलपीजी सिलेंडर होने वाले जान-माल के नुख्सान की खबरें आए दिन सुर्खियों में रहती हैं।
हर एक ग्राहक एलपीजी लाइफ इंश्योरेंस ( life insurence ) के दायरे में आता है, जो एलीपीजी सिलेंडर सरकारी लाइसेंस प्राप्त एजेंसी से खरीदता है। इसमें किसी भी कस्टमर को कोई प्रीमियम नहीं देना पड़ता। यह एक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस ( third party insurence ) है। जिसे सभी ऑयल कंपनियां जैसे इंडियन गैस, भारत गैस आदि लेती है। इसे पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी कहा जाता है। सभी कंपनियां यूनाइटेड इंश्योंरेंस कंपनी लिमिटेड से अपने ग्राहकों का इंश्योरेंस कराती हैं। दुर्भाग्यवश किसी सिलेंडर से ब्लास्ट होने पर गैस कंपनी इंश्योरेंस करवेज देती हैं।
इस तरह किया जा सकता है क्लेम
एलपीजी सिलेंडर से होने वाली दुर्घटनाओं तीन कैटेगरियों में बाटा गया है। इन्हीं के आधार पर गैस कंपनियां इंश्योरेंस देती हैं। एलजीपी सिलेंडर के ब्लास्ट की अधिकतम लायबिलिटी की रकम 50 लाख रुपए होती है। इसमें प्रति व्यक्ति लायबिलिटी की रकम 10 लाख रुपए तक होती है।
इंश्योरेंस क्लेम का तरीका
दुर्घटना होने की स्थिति में सबसे पहले स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। इसके बाद गैस डिस्ट्रीब्यूटर को एक्सीडेंट के बारे में लिखित सूचना देनी पड़ती है। साथ में, पुलिस रिपोर्ट की कॉपी भी संलग्न करनी होती है। इसके बाद गैस डिस्ट्रीब्यूटर वो एक्सीडेंट की सूचना गैस कंपनी तक पहुंचाती है। प्रॉपर्टी डैमेज की स्थिति में ऑयल कंपनी से एक टीम आती है, वो प्रॉपर्टी के नुकसान की जांच करती है और इंश्योंरेस तय करती है। इसी तरह, दुर्घटनावश मृत्यु की स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट, पोस्ट मॉर्टम सर्टिफिकेट देना होता है, तभी आपको इंश्योरेस मिल सकता है। इसके अलावा, एक्सीडेंट की स्थिति में मेडिकल बिल और प्रिसक्रिप्शन बिल, डिस्चार्ज बिल ऑयल कंपनी को देना होता है, इसके आधार पर ही कंपनी इंश्योरेंस में दी जाने वाली राशि सुनिश्चित करके पास करती है।
इन तीन केटेगरीज के आधार पर इंश्योरेंस का आंकलन होता है
-पर्सनल एक्सीडेंट पर है 5 लाख
एलपीजी सिलेंडर के ब्लास्ट होने से किसी की मृत्यु हो जाने पर गैस कंपनी में क्लेम किया जा सकता है। इसमें मृतक के परिजन को कंपनी एक फिक्स्ड अमाउंट अदा करती है। इसमे प्रति व्यक्ति के हिसाब से कंपनी 5 लाख रुपए इश्योरेंस राशि देती है।
-मेडिकल एक्सपेंस
अगर सिलेंडर ब्लास्ट में कोई घायल हो जाता है, तो उसके इलाज पर जो खर्च आता है उसके लिए अधिकतम 15 लाख दिए जाते हैं। इसमें प्रति व्यक्ति नुकसान 1 लाख रुपए होता है। गैस कंपनियों को सबसे पहले 25 हजार रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से तत्काल सहायता देती है।
-प्रॉपर्टी डैमेज
अगर ब्लास्ट में किसी की संपत्ति का नुकसान होता है, तो क्लेम करने पर कंपनी द्वारा संपत्ति के नुकसान का आंकलन करके उसका भुगतान किया जाता है। रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी होने पर कंपनी अधिकतम 1 लाख रुपए तक का भुगतान करती है।
Updated on:
01 Aug 2019 01:22 pm
Published on:
01 Aug 2019 12:42 pm
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