
गौशाला
भोपाल : प्रदेश में बन रहीं एक हजार गौशालाओं का संचालन निजी हाथों में जाएगा। सरकार इनका संचालन सामाजिक संगठनों और स्व सहायता समूहों को सौंपेगी। इनका निर्माण पूरा होते ही ये गौशालाएं पंचायतों के हवाले कर दी जाएंगी। पंचायत और निजी संगठनों के बीच ही गौशाला संचालन का करार होगा। सरकार ने सभी जिला पंचायतों को मॉडल एमओयू की कॉपी भी भेज दी है। सरकार ने अपनी माली हालत देखते हुए ये फैसला किया है ताकि गौ सेवा संचालन का काम बेहतर तरीके से हो सके। सरकार अप्रवासी भारतीयों से भी गौ सेवा फंड मांग रही है जिसको गौशाला संचालन में खर्च किया जाएगा। ये दान इन्कमटैक्स से मुक्त रहेगा।
गौशाला संचालन का आधा खर्च देगी सरकार :
सरकार गौसेवा संचालन का आधा खर्च ही वहन कर पाएगी। जो सामाजिक संगठन गौशाला का संचालन करेगा उसको प्रति गाय बीस रुपए रोज दिया जाएगा। एक गौशाला में 100 गाय रहेंगी यानी सरकार उस गौशाला पर 60 हजार रुपए खर्च करेगी। सामान्य तौर पर एक गाय पर चालीस रुपए दिन का खर्च आता है। इस हिसाब से गौशाला चलाने के लिए 1 लाख 60 हजार रुपए महीने का वित्तीय भार वहन करना होगा। आधा सरकार से मिलेगा बाकी का आधा गौशाला को लेने वाला संगठन लगाएगा। बदले में सरकार उस संगठन को गोबर,गौमूत्र के उत्पाद बनाकर बेचने का अधिकार देगी। इन उत्पादों पर सरकारी अनुदान के अलावा उनको बेचने का प्रबंध भी किया जाएगा।
जिला पंचायतों को भेजा मॉडल एमओयू :
सरकार ने प्रदेश की सभी जिला पंचायतों को मॉडल एमओयू बनाकर भेजा है। इस एमओयू में सभी नियम व शर्तों का उल्लेख है। इस एमओयू के आधार पर पंचायत किसी निजी संगठन से गौशाला चलाने का अनुबंध करेगी। सरकार मानती है कि ग्राम पंचायतों की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है वो बेहतर तरीके से गौशाला चला पाए। पंचायतों के पास आर्थिक स्त्रोत भी नहीं होते इसलिए गौशाला संचालन का अतिरिक्त खर्च उन पर पड़ जाएगा। इसी स्थिति से बचने के लिए गौसेवा में रुचि रखने वाले संगठनों को इससे जोड़ा जा रहा है।
अप्रवासी भारतीयों से चंदा :
गौसेवा के लिए सरकार अप्रवासी भारतीयों से भी फंड मांग रही है। इसके लिए यूएस,यूके और गल्फ देशों में प्रदेश सरकार के गौशाला को लेकर विज्ञापन दे रही है। ये विज्ञापन उन अखबारों में दिए जा रहे हैं जो वहां पर सबसे ज्यादा अप्रवासी भारतीयों के घरों में पहुंचते हैं। इन देशों में अप्रवासी भारतीयों की संख्या ज्यादा है। सरकार ने उन सबकी सूची भी तैयार कर ली है। एनआरआई के गौसेवा फंड को आयकर से मुक्त रखा गया है। इन विज्ञापनों में गौशाला से जुड़े बिंदू और मुख्यमंत्री कमलनाथ की तस्वीर लगाई गई है।
बिड़ला ने भेजी चि_ी :
बिड़ला समूह सीएसआर फंड से प्रदेश में 100 गौशालाओं का निर्माण करेगा। ये गौशालाएं हाईटैक होंगी। बिड़ला ने पत्र भेजकर प्रदेश कह दिया है कि वो गौशाला बनाकर सरकार के हवाले कर देगा। इन गौशालाओं के संचालन की उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। सरकार इन गौशलाओं के संचालन के लिए अब निजी संगठनों को तलाशने लगी है। बिड़ला समूह सरकार से जमीन मिलते ही गौशाला निर्माण का काम शुरु कर देगा। सरकार इन गौशलाओं के लिए जमीन तलाश रही है।
गौशाला का निर्माण पूरा होने पर उनको पंचायतों के हवाले कर दिया जाएगा। सरकार चाहती है कि गौशाला का संचालन बेहतर हो। गौसेवा में रुचि रखने वाले निजी संगठन या स्वसहायता समूह इनका संचालन करने में अपनी रुचि दिखाते हैं तो सरकार अपनी शर्तों पर उनको गौशाला चलाने के लिए देगी। सरकार 20 रुपए प्रति गाय प्रति दिन के हिसाब से उनको फंड भी देगी। -
मनोज श्रीवास्तव एसीएस,पशुपालन -
Published on:
27 Oct 2019 11:58 am
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