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सरकार ने बदली व्यवस्था, पांच साल में होंगे अब जल उपभोक्ता समिति के चुनाव

सरकार ने बदली व्यवस्था, पांच साल में होंगे अब जल उपभोक्ता समिति के चुनाव  

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भोपाल। प्रदेश की जल उपभोक्ता समितियों के चुनाव की प्रक्रिया कमलनाथ सरकार ने बदल दी है। अभी दो-दो साल में जल उपभोक्ता समितियों के चुनाव होते हैं, लेकिन अब पांच साल में चुनाव होंगे। राज्यसभा चुनाव की तर्ज पर पिछली शिवराज सरकार ने दो-दो साल में चुनाव का फार्मूला लागू किया था, जिसे कमलनाथ सरकार ने बदल दिया है। इससे अब जल उपभोक्ता समितियों को काम करने के लिए पूरे पांच साल का समय मिलेगा। साथ ही बार-बार चुनाव से होने वाला खर्च भी बचेगा।

प्रदेश की जल उपभोक्ता समितियों के चुनाव पिछले आठ महीने से लंबित थे। जनवरी-फरवरी में इसके चुनाव होना था, लेकिन तब कमलनाथ सरकार ने इन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अब चुनाव की व्यवस्था को ही बदल दिया गया है। शुक्रवार को राज्य मंत्रालय में सीनियर सेकेट्रिएट की बैठक में इसका प्रस्ताव रखा गया था। मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

जल उपभोक्ता समितियां : काम व अधिकार-

प्रदेश में पानी के उपयोग, प्रबंधन और प्लानिंग के लिए सरकार ने जल उपभोक्ता समितियां बनाई है। इन समितियों के जिम्मे ही पानी के संचालन से लेकर अन्य सभी प्रकार के जल संबंधित मुद्दों के निर्धारण के अधिकार होते हैं। जल उपभोक्ता समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही जल परियोजनाएं मंजूर की जाती है। तहसील स्तर पर इनकी रिपोर्ट सरकारी जल परियोजनाओं के लिए आधार होती हैं। इसलिए इन जल उपभोक्ता समिति के चुनाव होते हैं, जिनमें बकायदा निर्वाचन के जरिए अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी तय होती है।

ये काम जल समितियों के-

- नहरों से पानी देने की मात्रा निर्धारण में मदद

- नहरों से पानी देने की कहां जरूरत, कहां नहीं
- सिंचाई की कहां जरूरत, कहां जरूरत नहीं

- जल स्त्रोत बनाने की जरूरत कहां-कहां
- जल परियोजनाओं की जरूरत किन इलाकों में

- जल परियोजना की मानीटरिंग व निगरानी
- जल संबंधित समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना

- जल संरचनाओं का संरक्षण करना, प्लान देना
- जल संरचनाओं के लिए वैकल्पिक इंतजाम में सहायता

- जल संरचनाओं के लिए प्लानिंग में सहायता करना
- पेयजल उपलब्धता की स्थिति, डिमांड संबंधित काम

गाद-रेत बेचकर 1000 करोड़ कमाएगी सरकार-

सरकार ने बाणसागर, इंदिरा सागर, तवा और बरगी बांध में भरी गाद व उसमें मिली रेत को बेचकर एक हजार करोड़ रुपए कमाने की भी तैयारी की है। प्रदेश में एेसा पहली बार हो रहा है जब बांध की गहराई बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पैसा देने की बजाए उलट ठेकेदार से पैसा लेने का टेंडर जारी करने जा रही है। शुक्रवार को नर्मदा विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी और मुख्य सचिव ने इसके टेंडर की शर्तों को लेकर चर्चा की।

इन चारों बांधों में १३०० एमसीएम गाद भर गई है, जिसे अब निकाला जाना है। जो कंपनी गाद निकालेगी, वह गाद में मिली हुई रेत को बेच सकेगी। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा। हाल ही में सरकार ने कैबिनेट में इसके लिए अलग से नीति मंजूर की थी। उसी नीति के तहत अब टेंडर जारी करने की मंजूरी दे दी गई है।