MP Farmers: ग्रीष्मकालीन मूंग की बिक्री को लेकर इस समय प्रदेश के किसानों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। कई जगह किसान प्रदर्शन, नारेबाजी और जल सत्याग्रह कर अपना विरोध जता रहे हैं। इसका कारण मूंग की सरकारी खरीदी राज्य में नहीं होना है, जिससे किसानों को समर्थन मूल्य से करीब-करीब 3000 रुपए क्विंटल के नीचे भाव पर कृषि उपज मंडियों में बेचना पड़ रहा है।
इस साल सरकार ने मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8,768 रुपए तय किया है, जबकि खुले बाजार में भाव 5000/5500 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। किसानों का कहना है, उन्हें प्रति एकड़ 7 से 8 हजार रुपए क्विंटल का खर्चा आ रहा है, जबकि मंडियों में दाम काफी घटाकर बोले जा रहे हैं। बीते वर्ष खुले बाजार में 8000 रुपए क्विंटल से ऊपर के भाव मिले थे।
कम समय में तैयार होने वाली ग्रीष्मकालीन फसल मूंग का प्रदेश में रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। चालू वर्ष में 12 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल बोई गई है। इसमें से करीब-करीब 40 फीसदी फसल कटकर मंडियों में बिक चुकी है। कई किसानों ने एमएसपी पर बिकने के इंतजार में फसल घरों में रख रखी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में खेतों में फसल खड़ी हुई है। भोपाल, जबलपुर, नर्मदापुरम संभाग के करीब 25 जिलों में मूंग की बुवाई की गई है।
समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी नहीं होने से किसान काफी चिंतित है। मंडियों में काफी भाव घटाकर किसानों से मूंग खरीदा जा रहा है। यदि दवा का उपयोग किया गया है तो खुली मंडी में भी क्यों बिक रहा है। ये दो तरह की बातें नहीं होना चाहिए।
-अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन
वर्ष - एमएसपी
2020-21 - 7196
2021-22 - 7285
2022-23 - 7755
2023-24 - 8558
2024-25 - 8682
2025-26 - 8768
समर्थन मूल्य पर प्रदेश में मूंग की खरीदी नहीं होने से किसान चिंतित और असमंजस की स्थिति में है। सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। सरकारी खरीदी नहीं होने से किसानों को मजबूरन अपनी फसल मंडियों में बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। हम तीन दिन तक सरकार के रुख का इंतजार करेंगे, इसके बाद प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ
गेहूं-चना की फसल कटने के तुरंत बाद मूंग की फसल की बुवाई जल्दी करनी चाहिए। मूंग की जड़ों में नाइट्रोजन होता है। इससे अगली फसल में यूरिया की कम जरूरत पड़ती है। ये फसल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती ही है, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है। इसलिए इस फसल में किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग कम करना चाहिए, जिससे तैयार फसल मानव स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी रहेगी।
- आमरेन्द्र मिश्रा, कृषि मामलों के जानकार
बता दें कि बारिश की अनिश्चितता और अचानक बदलते मौसम के कारण जल्द कीड़े लग जाते हैं। ऐसे में किसान मूंग की फसल को जल्दी सुखाने और लाभ को ध्यान रखते हुए इनमें कीटनाशकों के साथ ही केमिकल का यूज कर रहे हैं। जिसके बाद प्रदेशभर से ऐसी खबरें भी आईं कि मूंग की खरीदी आम लोगों ने भी बंद कर दी है। कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल और जल्दी सुखाने के लिए यूज किए जा रहे केमिकल ने इसे जहरीला बना दिया है। एक्सपर्ट के मुताबिक इसीलिए लोग इससे दूरी बनाने लगे हैं। पूरी खबर पढ़ने यहां करें क्लिक- जहरीली हुई मूंग
Published on:
12 Jun 2025 11:50 am