मंत्रालय में शुक्रवार को सीएस मोहंती की अध्यक्षता में इस एक्ट को लेकर बैठक हुई। बैठक में औद्योगिक निवेश से संबंधित एक दर्जन विभागों के प्रमुख सचिव शामिल रहे। इसमें उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव डा. राजेश राजौरा ने नए एक्ट का मसौदा रखा। इस पर प्रारंभिक मसौदे को मान लिया गया, लेकिन विभिन्न प्रकार की टाइम-लिमिट में बदलाव करने के निर्देश दिए गए। मुख्य सचिव ने 35 प्रकार की मंजूरियों में प्रस्तावित टाइम-लिमिट को कुछ और कम करने के लिए कहा है।
इसके तहत अब 17 दिसंबर को सीनियर सेकेट्रिएट की बैठक में फायनल मसौदा रखा जाएगा। सीनियर सेकेट्रिएट से मंजूरी के बाद एक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट भेजा जाएगा। फिर कैबिनेट से मंजूरी के बाद विधानसभा में एक्ट रखा जा सकता है। सीएम कमलनाथ की प्राथमिकता पर औद्योगिक विकास है, इस कारण सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द इस एक्ट को लागू कर दिया जाए। ताकि, उद्योगों को तय सीमा में मंजूरियां मिल सके।
देश में पहली बार ऐसा प्रयोग-
आनलाइन स्वत: मंजूरी की टाइम-लिमिट वाला एक्ट लाने का देश में यह पहला प्रयोग है। इससे पहले तेलंगाना में इस तरह की कोशिश हुई है, लेकिन वहां पर एक कमेटी को ही सारे अधिकार किए गए हैं। कमेटी ही मैन्युअल आवेदन पर एक ही जगह मंजूरियां देती है। वही राजस्थान में भी इस प्रकार की कोशिश हुई है। राजस्थान में भी निश्चित समय में मंजूरियां देना होती है, लेकिन आनलाइन पोर्टल पर आवेदन का निपटारा न होने पर स्वत: मंजूरी का प्रयोग मध्यप्रदेश में ही हो रहा है।
ऐसे होगा ऑटोमैटिक मंजूरी का काम-
35 प्रकार की मंजूरियों के लिए आवेदन आनलाइन ही करना होगा। इसमें उद्योगपति सभी दस्तावेज लगाकर आवेदन आनलाइन देगा। संबंधित आनलाइन आवेदन को ही विभिन्न विभागों की मंजूरियों के लिए आनलाइन ही निपटारा करना होगा। इसमें तय टाइम लिमिट में आवेदन को रिजेक्ट करना, मंजूर करना या आपत्ति लगाकर दस्तावेज मांगना अनिवार्य होगा। यदि तय टाइम-लिमिट में आवेदन का निपटारा नहीं हुआ, तो उद्योगपति आनलाइन पोर्टल से उसका ऑटोमेटिक जनरेट हुआ सर्टिफिकेट निकालकर रख लेगा। उसे ही मंजूरी माना जाएगा। यदि ऑटोमैटिक सर्टिफिकेट सर्वर या अन्य तकनीकी खामी के कारण जनरेट नहीं होता है, तब भी निर्धारित टाइम-लिमिट बीत जाने पर आवेदन को ही मंजूर मान लिया जाएगा।
कोई गड़बड़ी, तो संबंधित अधिकारी दोषी-
नए एक्ट में यह प्रावधान प्रस्तावित है कि यदि आवेदन का निपटारा नहीं होता है और स्वत: मंजूरी के बाद उद्योग में कोई गड़बड़ी रहती है या स्वत: मंजूरी गलत रहती है, तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को दोषी माना जाएगा। इसके बाद संबंधित अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई से लेकर अन्य कार्रवाई तक प्रकरण के हिसाब से हो सकेगी। इसलिए संबंधित अधिकारी की पूरी जवाबेदही आवेदन को लेकर रहेगी।
चुनिंदा मामलों में ऐसी टाइम-लिमिट प्रस्तावित-
– उद्योग के लिए जमीन आवंटन – 59 दिन
– भवन निर्माण मंजूरी औद्योगिक क्षेत्र में- 30 दिन
– जलापूर्ति आवंटन औद्योगिक क्षेत्र में- 15 दिन
– फैक्ट्री लायसेंस को मंजूर करना- 30 दिन
– उद्योग रजिस्ट्रेशन को मंजूरी – 30 दिन
– नेट मीटरिंग एंड ग्रिड कनेक्शन रूफ-टॉप- 30 दिन
निवेशकों को सरकारी सिस्टम में परेशान न होना पड़े इसलिए इस कानून का मसौदा तैयार किया गया है। इसके मंजूर होने पर नए उधोगों को तय समय में मंजूरी मिल जाएगी। किसी कारण से विभाग तय समय में आवेदन पर निर्णय नहीं लेता है तो प्रस्तावित कानून के अनुसार संबंधित निवेशक को डिम्ड मंजूरी मिल जाएगी। – राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव उधोग विभाग