खाद्य विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है। लोकसभा चुनाव में इसका फायदा लेने के लिए इस प्रस्ताव को आचार संहिता से पहले कैबिनेट में लाया जा सकता है। बताया जाता है कि प्रति थाली की दर 30 से 40 रुपए रखी जाएगी, अंतर की जो राशि होगी उसकी भरपाई केटर्स को खाद्य विभाग करेगा।
जो किसान अनाज बेंचने आएगा उसके साथ आने वाले अन्य पांच से सात किसानों को रियायती दर पर भोजन दिया जाएगा। कैंटिन चलाने के लिए जिला स्तर पर ही ठेके दिए जाएंगे, जिससे उसके संचालन में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
केन्द्रों पर पहुंचते ही मिलेगा टोकन
खरीदी केन्द्रों पर आने वाले किसानों को टोकन दिया जाएगा। टोकन नम्बर के बाद से गेहूं खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। खरीदी केन्द्रों पर अनाज की ग्रेडिंग और सफाई का कार्य भी किया जाएगा। खरीदी की प्रक्रिया पूरी करने में जितने दिन लगेंगे उतने दिन तक उन्हें भोजन के साथ ही उन्हें ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। सूत्रों के अनुसार किसानों को रियायती दर पर भोजन कराने में खाद्य विभाग पर 6 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अतिरिक्ति आर्थिक भार आएगा।
खरीदी केन्द्रों पर आने वाले किसानों को टोकन दिया जाएगा। टोकन नम्बर के बाद से गेहूं खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। खरीदी केन्द्रों पर अनाज की ग्रेडिंग और सफाई का कार्य भी किया जाएगा। खरीदी की प्रक्रिया पूरी करने में जितने दिन लगेंगे उतने दिन तक उन्हें भोजन के साथ ही उन्हें ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। सूत्रों के अनुसार किसानों को रियायती दर पर भोजन कराने में खाद्य विभाग पर 6 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अतिरिक्ति आर्थिक भार आएगा।
बोनस पर सरकार की चुप्पी केन्द्र सरकार ने इस वर्ष 105 रुपए गेहूं के रेट बढ़ा दिए हैं। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से बोनस देने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
राज्य सरकार ने इस वर्ष गेहूं खरीदी के लिए 110 लाख टन तथा अन्य अनाज के लिए 30 लाख टन खरीदी का लक्ष्य रखा है, अगर किसानों को बोनस देने पर निर्णय नहीं लिया जाता है तो पचास लाख टन से अधिक गेहूं खरीदी केन्द्रों पर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। गत वर्ष केन्द्र ने एमएसपी 1735 रुपए प्रति क्विंटल रखी थी, इसके अलावा राज्य सरकार ने किसानों को 265 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को बोनस दिया था।