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सरकार फिर खोलेगी बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की फाइलें, पुरानी जांच में दोषी पाए गए लोग भी नपेंगे

locationभोपालPublished: Dec 06, 2019 07:35:28 am

Submitted by:

Arun Tiwari

– पीएचई मंत्री ने पीएस को लिखा पत्र

सरकार फिर खोलेगी बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की फाइलें, पुरानी जांच में दोषी पाए गए लोग भी नपेंगे

सरकार फिर खोलेगी बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की फाइलें, पुरानी जांच में दोषी पाए गए लोग भी नपेंगे

भोपाल : बुंदेलखंड पैकेज के 2800 करोड़ रुपए के घोटाले की फाइलें एक बार फिर खुलने वाली हैं। प्रदेश सरकार इसकी दोबारा जांच कराने जा रही है। पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर बुंदेलखंड पैकेज की जांच फिर से कराने के निर्देश दिए हैं। विभाग को मिलीं बुंदेलखंड पैकेज के भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों को आधार बनाकर मंत्री ने पीएस को जांच के लिए कहा है।

इसके साथ ही वो पूरी जानकारी भी तलब की गई है जो पिछली सरकार में मुख्य तकनीकी परीक्षक यानी सीटीई की जांच में सामाने आई थी। इस जांच में कई अधिकारी-कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया था लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकार ने इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी भी कर ली है।

तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार ने 2008-09 में मध्यप्रदेश के छह जिलों की बेहतरी के लिए बुंदेलखंड पैकेज के तहत 3860 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। इनमें से 3226 करोड़ की राशि प्रदेश को आवंटित की गई थी। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 2800 करोड़ खर्च करने का दावा किया था।

भ्रष्टाचार की जांच में 80 फीसदी राशि की बंदरबांट कर अनियमितताएं सामने आई थीं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रदेश की एक सभा में कहा था कि मुख्यमंत्री कमलनाथ बुंदेलखंड पैकेज की जांच करवाएंगे। जो पैसा हमने बुंदेलखंड के लोगों के लिए भेजा था वो भाजपा सरकार और अधिकारियों ने मिलकर खा लिया।

इन बिंदुओं पर जांच करेगी सरकार :

– जल संसाधन विभाग को 1340 करोड़ छह जिलों में नहर निर्माण और सिंचाई परियोजनाओं के लिए खर्च करने थे लेकिन सीटीई की जांच में आया कि ज्यादातर बांध और तालाबों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। जिसके चलते ये लंबे समय तक नहीं टिक पाएंगे। इन कामों में बड़ी तकनीकी खामियां मिली हैं।

– वन विभाग को चैकडेम बनाने के लिए 180 करोड़ का फंड दिया गया। जांच में वॉटरशेड के निर्माण में फर्जी वाउचर्स साइन कर पैसे निकाले गए। जेसीबी और ट्रेक्टर की जगह मोटरसाइकिल और टैक्सी खरीदी गईं। सात लाख का व्यय उस तालाब पर हुआ जो जमीन पर बना ही नहीं। तालाबों की खुदाई की औपचारिकता पूरी कर फंड निकाल लिया गया।
– पीएचई विभाग के 300 करोड़ में 100 करोड़ तो उन नल-जल योजनाओं पर खर्च कर दिए जो या तो शुरु ही नहीं हो पाईं या फिर कुछ समय में ही बंद हो गईं। नल जल योजनाओं में निर्धारित सामग्री का उपयोग नहीं किया गया। पाइप लाइन बिछाने के नाम पर अनियमिताएं की गईं।

– कृषि विभाग के तहत 614 करोड़ से उद्यानिकी, डीजल पंप वितरण,वेयर हाउस और मंडी निर्माण के काम होने थे। इनके डीपीआर अपूर्ण और त्रुटिपूर्ण बनाए गए। मंडी और वेयरहाउस निर्माण में भारी अनियमिताएं हुई। इन कामों की निगरानी तक नहीं की गई। बीज ग्राम प्रशिक्ष,बीज अनुदान,केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर वित्तीय अनियमितता हुई।

– ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने 209 करोड़ खर्च कर अधिकांश काम कागज पर ही कर दिए। स्टॉप डेेम की जगह रपटा का निर्माण कर दिया। कट ऑफ वॉल का निर्माण नहीं किया गया। बांधों में लोहे के गेट नहीं लगाए गए। पशुपालन के नाम पर भी भारी भ्रष्टाचार किया गया।

इन जिलों में होना था इतने फंड का काम :

बुंदेलखंड पैकेज के तहत जिन छह जिलों में काम होना था उनमें सागर, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़,पन्ना और दतिया शामिल हैं। सागर में 840 करोड़, छतरपुर में 918 करोड़, दमोह में 619 करोड़, टीकमगढ़ में 503 करोड़, पन्ना में 414 करोड़ और दतिया में 331 करोड़ का काम होना था लेकिन कुल फंड की 80 फीसदी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

– सरकार बुंदेलखंड पैकेज में हुए भारी भ्रष्टाचार की फिर से जांच कराएगी। मैने इस संबंध में प्रमुख सचिव को भी पत्र लिखा है। हमने जांच के प्रमुख बिंदु तय किए हैं। पिछली जांच में जिन लेागों को दोषी पाया गया था उनकी पूरी जानकारी बुलवाई है। भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। – सुखदेव पांसे पीएचई मंत्री –

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