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पांच साल नहीं की खेती तो कब्जा करेगी सरकार

प्रदेश सरकार ने किया भू-राजस्व संहिता में बड़ा बदलाव

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भोपाल

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Alok Pandya

Feb 14, 2020

govt change in land revenue act

प्रदेश सरकार ने किया भू-राजस्व संहिता में बड़ा बदलाव

भोपाल. जमीन पर खेती नहीं करने वाल और टेक्स न चुकाने वाले किसानों को प्रदेश सरकार ने राहत दी है। पहले दो साल तक खेती नहीं करने और ऐसी जमीन का टेक्स ना जमा करने पर उसे तहसीलदार द्वारा कब्जे में लेने का प्रावधान था। सरकार ने इसे बढ़ाते हुए हुए अवधि पांच साल कर दी है। यानि किसी जमीन पर यदि पांच साल तक खेती नहीं होती है और टैक्स भी नहीं चुकाया जाता है तो ऐसी जमीन को अब तहसीलदार कब्जे में लेकर भू-स्वामी की ओर से एक साल के लिए पट्टे पर देकर खेती करवाएंगे। तहसीलदार द्वारा कब्जे में लेने के बाद पांच साल तक अगर उस जमीन का कोई दावेदार नहीं आया और टैक्स नहीं चुकाएगा तो वह जमीन हमेशा के लिए सरकार की हो जाएगी। पहले तीन साल में ही यह सरकार के कब्जे में चली जाती थी।
भू-स्वामी जमीन वापस लेता है तो उसे खेती करना पड़ेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने भू-राजस्व संहिता 1959 में बदलाव किया है। राजस्व विभाग जल्द ही प्रदेश में अभियान चलाकर ऐसी कृषि भूमि को चिन्हित करने की तैयारी में है।
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किसानों को राहत-
किसान कई बार अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण जमीन पर ख्ेाती नहीं कर पाते हैं, कई बार से टेक्स भी नहीं चुका पाते। पहले दो साल में ही ऐसी जमीन पर सरकार का दखल होने की स्थिति थी। इसे लेकर किसानों से जुड़े कई संगठनों ने विरोध भी जताया था। ऐसे में सरकार ने नियमों में बदलाव करके किसानों को राहत दी है।
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- अपील के लिए बढ़ाया समय
राजस्व प्रकरणों में मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए आदेशों पर अपील करने के लिए समयावधि भी सरकार ने बढ़ा दी है। इसे 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन कर दिया गया है।
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पंचायतों के कम किए अधिकार-
भू राजस्व संहिता के संशोधन में आबादी स्थल के निपटारे के अधिकारी ग्राम पंचायतों से छीन लिए गए हैं। पहले भू राजस्व सङ्क्षहता के अनुसार गांव की आबादी स्थल यानि की जहां लोग निवास करते हैं उनसे जुड़े विवादों को निपटाने का अधिकार पंचायतों के पास था। सरकार ने इसे खत्म करते हुए अब यह अधिकार तहसीलदारों को दे दिया है।