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जीपीएस से पता लगेगा बाघ- तेंदुआ का खुफिया रास्ता

बाघ-तेंदुओं के रास्तों की जीपीएस ट्रैकिंग करा रहा वन विभाग - अब तक जितने भी बार दर्ज हुई उपस्थिति, पगमार्ग और तस्वीरों के आधार पर बन रहा मैप

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जीपीएस से पता लगेगा बाघ- तेंदुआ का खुफिया रास्ता

जीपीएस से पता लगेगा बाघ- तेंदुआ का खुफिया रास्ता

पिछले कुछ महीनों में कोलार के स्वर्णजयंती पार्क, वाल्मी और भोजमुक्त विश्वविद्यालय में एक से अधिक बार बाघ और तेंदुओं की उपस्थिति दर्ज हुई है। वन्य जीव बाघ और तेंदुए केरवा-कलियासोत के जंगलों में भ्रमण करते हैं, जहां से कोलार रोड की दूरी दो से तीन किलोमीटर है, ऐसे में जंगल से यहां तक यह वन्य जीव किस रास्ते का उपयोग कर रहे हैं, इसका पता लगाने के लिए वन विभाग इनके रास्तों की जीपीएस मैपिंग कर रहा है। एक बार रास्ता तय हो जाने के बाद इस आधार पर सुरक्षा की तैयारी की जाएगी।

वन विभाग ने पिछले दिनों बाघ की सर्चिंग के साथ उसके पगमार्ग, सीसीटीवी फुटेज और अन्य माध्यमों से प्रत्येक जगह की जीपीएस लोकेशन ट्रेस करते हुए वन्य प्राणियों का संभावित रास्ते को तय कर रहा है। इन लोकेशन्स को

इलाके के मैप पर जोडकऱ ट्रैक तैयार किया जाएगा। इस रास्ते को देखकर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ वन्य प्राणियों से टकराव को टालने की नीति बनाएंगे।

नाले का रास्ता बंद करना जरुरी

स्वर्णजयंती पार्क में तेंदुए की उपस्थिति के समय वन विभाग ने सीपीए को सुझाव दिया था कि पार्क के बगल में जो कलियासोत बहाव क्षेत्र है उसमें जाली लगाकर संभावित रास्ता रोका जा सकता है, लगभग यही स्थिति भोज विवि में भी सामने आई है। वन विभाग ने विवि को संभावित रास्तों के साथ इस जलबहाव क्षेत्र में जाली लगाने की सलाह दी है जिससे वन्य जीवों के सबसे बड़े रास्ते को रोका जा सके।

वर्जन

बाघ और तेंदुए की उपस्थिति, पगमार्ग और तस्वीरों के आधार पर जीपीएस टैगिंग करते हुए स्पष्ट संभावित रास्ता तय किया जा रहा है। एक बार यह रास्ते स्पष्ट हो जाएं तो बड़े इलाके में बाड़बंदी जैसे प्रयास करने के बजाए इन्हीं

रास्तों को बंद करके टकराव की आशंका को लगभग खत्म किया जा सकेगा।

आलोक पाठक, डीएफओ, भोपाल