राजनीतिक दल जनप्रतिनिधि के लिए कोई मापदंड तय नहीं करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अनपढ़ लोग भी जनप्रतिनिधि बन जाते हैं। इसलिए राजनीति में भी इस तरह के मापदंड होना चाहिए, ताकि टिकट देने से पहले योग्य, पढ़े लिखे लोग आगे आ सके।
पत्रिका कार्यालय में रविवार को आयोजित पत्रिका के टॉक शो में विद्वानों ने यह विचार रखे। प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ सामाजिक धार्मिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों ने भी अपनी बेबाकी के साथ अपनी बात रखी। सभी का कहना था कि जाति, धर्म, समाज, परिवारवाद से हटकर ऐसे प्रत्याशी का समर्थन करना होगा जो जनता के बीच का हो, पढ़ा लिखा हो। युवाओं और महिलाओं को भी अधिक से अधिक मौका मिलना चाहिए।
सभी ने कहा- राजनीतिक क्षेत्र में युवा और महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए राजनीतिक क्षेत्र में युवा और महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए। जब कर्मचारी के लिए नौकरी की अर्हता और आयु तय है, तो राजनीति क्षेत्र में क्यों नहींं। यदि ऐसा हुआ तो अधिक से अधिक युवाओं को मौका मिलेगा। इस ओर के कदम उठाना जरूरी है।
आरबी सक्सेना, एडवोकेट, सचिव, अभा कायस्थ महासभा
चुनाव में स्थानीय मुद्दे भी प्रभाव डालते हैं। शहर में नई कॉलोनियों के हस्तांतरण की समस्या कई सालों से है, लेकिन इस ओर कोई जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहा। एक नए मास्टर प्लान की आवश्यकता है। इसलिए अच्छे उम्मीदवार का ही चयन करें।
सुनील उपाध्याय, अध्यक्ष, न्यू कॉलोनीज वेलफेयर एसोसिएशन
चुनाव में हम किसे चुन रहे हैं, इसके लिए मानसिकता में सुधार लाना जरूरी है। शिक्षा व्यवस्था व्यवसायिक हो गई है। राजनीति के क्षेत्र में शिक्षा से जोडकऱ कुछ सकारात्मक बदलाव किए जा सकते हैं।
विपिन बिहारी ब्योहार, सलाहकार, कायस्थ मंडल, होशंगाबाद रोड