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टॉयलेट की पेंटिंग गड़बड़ तो देना होगा 50 हजार जुर्माना

Public Toilet in Bhopal स्वच्छता मिशन के तहत भोपाल शहर में आठ नए पब्लिक टॉयलेट बनाए जाने हैं। निजी कंपनियों को इन्हें लीज पर दिया जाएगा। लेकिन शर्तें इतनी कठिन हैं कि इन्हें कोई लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है।

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भोपाल. नगर निगम तीन जोन क्षेत्रों में निजी एजेंसियों के माध्यम से आठ नए public toilet पब्लिक टॉयलेट स्थापित कराना चाहता है, लेकिन तीन माह की मशक्कत के बाद भी कोई काम लेने को तैयार नहीं है। वजह है टॉयलेट्स ऑपरेशन public toilet guidelines के दौरान गंदगी-गड़बड़ी पर तय किया गया जुर्माना। कुछ पॉइंट्स पर ये 50 हजार रुपए तक है।

1.6 करोड़ रुपए में यहां बनने हैं आठ टॉयलेट्स

Bhopal Nagar Nigam तीन जोनों में आठ नए पब्लिक टॉयलेट स्थापित करने के लिए प्रयास कर रहा है। जोन क्रमांक 14, 15 व 16 के वार्ड क्रमांक 56, 60, 61, 63, 65, 66 व 67 में नए टॉयलेट स्थापित करना है। निगम टॉयलेट स्थापित करने वालों को 20 साल के लिए विज्ञापन राइट्स दे रहा है, लेकिन कोई इन्हें लेने को तैयार नहीं है।

टॉयलेट्स को लेकर ये है जुर्माना
- केयर टेकर नहीं मिला या रिकॉर्ड रजिस्टर नहीं मिला तो 500 रुपए जुर्माना
- हैंडवॉश, सेनिटाइजर, डस्टबिन नहीं होने पर 200 रुपए जुर्माना
- नल लीकेज पर 300 रुपए जुर्माना
- वॉश बेसिन गंदा मिलने पर 300 रुपए जुर्माना
- टॉयलेट की अंदरूनी-बाहरी पेंटिंग ठीक नहीं तो 50 हजार जुर्माना
- टॉयलेट में पानी नहीं तो 1000 रुपए प्रति दिन जुर्माना
- टॉयलेट में गलत फिटिंग्स पर 1000 रुपए प्रति यूनिट जुर्माना
- हैंडीकेप्ड टॉयलेट में कमी पर 2000 रुपए प्रति टॉयलेट प्रतिदिन जुर्माना
- कॉमन एरिया गंदा होने पर 500 रुपए जुर्माना
- एगजॉस्ट फैन बंद होने पर 100 रुपए जुर्माना

जिन टॉयलेट्स ने स्वच्छता में अंक दिलाए अब वे यहां-वहां

नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर अंक दिलाने वाले मॉड्यूलर टॉयलेट्स अब गायब हो गए हैं। कोरोना काल के बाद से ही इन्हें हटाना शुरू कर दिया गया। शहर के लिए करीब 15 हजार टॉयलेट्स मंगाए गए थे, अब ये नजर नहीं आ रहे। कुछ जगह लगे हुए हैं, लेकिन स्वच्छता की गाइडलाइन तोड़कर इन्हें स्थापित किया गया।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर
स्वच्छता मिशन के नोडल अफसर आरके सक्सेना हंै। शहर में पब्लिक टॉयलेट्स की समय पर स्थापना हो और स्थापित टॉयलेट्स का संचालन सही हो इनका जिम्मा है, लेकिन बीते एक साल से इस मामले में इन्होंने कोई समीक्षा या कार्रवाई नहीं की। शहर में पहले से स्थापित 150 सुलभ तक में सुविधाएं नहीं हैं। जबकि इनका कहना है कि हमारी टीम काम कर रही है। गड़बड़ी या अनियमितता वाली कोई बात नहीं है।