
सनातन धर्म में हर दिन और महीना यहां तक कि हर तीज-त्योहार तक किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित माना गया है। इसी तरह हरियाली तीज का पर्व भी भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना गया है। सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व शनिवार को मनाया जा रहा है। हालांकि तीज की यह तिथि शुक्रवार शाम से ही शुरू हो गई है। वहीं महिलाओं ने निर्जला व्रत भी शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए इस व्रत को बेहद खास माना जाता है। वहीं किसी भी व्रत या त्योहार पर पूजा का विशेष मुहूर्त होता है। इन शुभ मुहूर्त में ही पूजा-अर्चना की जाए तो उसका पूरा फल आपको मिलता है। यहां जानें हरियाली तीज पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो जाएगी। इसका समापन 19 अगस्त 2023 को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा।
- सुबह का मुहूर्त- 07 बजकर 47 मिनट से 09 बजकर 22 मिनट तक
- दोपहर का मुहूर्त- 12 बजकर 32 मिनट से 14 बजकर 07 मिनट तक
- शाम का मुहूर्त 18 बजकर 52 मिनट से 19 बजकर 15 मिनट तक रात का मुहूर्त 00 बजकर 10 मिनट से 00 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और 16 शृंगार करके उनकी आराधना करती हैं। साथ ही, कुंवारी कन्याएं भी भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं और अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। इस उत्सव के दौरान हरे रंग के कपड़े पहनने और झूला झूलने का आयोजन भी किया जाता है।
हरियाली तीज की पूजा विधि
- हरियाली तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, ताकि आप शुभ ऊर्जा के साथ भगवान की पूजा कर सकें।
- एक साफ या पवित्र स्थल में भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु पूजा के लिए पीले फूल, तुलसी, घी, दीपक, धूप, अगरबत्ती, नैवेद्य, अखंड दिया, फल, नया वस्त्र आदि की आवश्यकता होती है।
- पूजा के दौरान 'ऊं विष्णवे नम:' और ऊं नमो नारायणाय' मंत्र का जाप करें।
- पूजा में पीले रंग के फूल, तुलसी दल और घी के दीपक के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति की आराधना करें।
- भगवान को पीले रंग के फूल और चना दाल में गुड़ मिलाकर भोग लगाएं।
- पूजा के बाद भगवान की आरती करें और उनकी महिमा गाएं।
- पूजा के दौरान अपनी भक्ति और प्रार्थनाओं को व्यक्त करें, भगवान से उनकी कृपा पाने के लिए उनसे विनती करें।
- विद्वान सदाचारी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दान, द्रव्य, वस्त्र, आभूषण, आदि के साथ विदा करें।
Updated on:
19 Aug 2023 11:38 am
Published on:
19 Aug 2023 11:36 am
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