उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी जिला जनपद पंचायत के सीईओ और पंचायत सचिव की है। कई योजनाएं ऐसी हैं, जो पन्द्रह से बीस साल पहले बनीं। उसमें परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
योजनाओं का सर्वे कराया जाएगा। उसके आधार तय होगा कि इन्हें और बेहतर कैसे किया जाए। उन्होंने कहा कि आने वाले दस वर्षों में पानी की उपलब्धता हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हमें मजबूत बनाना होगा। इस मौके पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने भी अपनी बात कही। कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में किए गए नवाचारों का प्रजेंटेशन भी दिया।
कर्ज माफी स्थाई समाधान नहीं, राहत है –
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्ज माफी स्थाई समाधान नहीं है, यह एक राहत है। हमें यह सोचना होगा कि किसानों के अधिक उत्पादन का कैसे उपयोग करें। क्योंकि इससे ही उनकी आय को दोगुना कर सकते हैं, उनकी क्रय शक्ति को बढ़ा सकते हैं। किसानों की क्रय शक्ति से ही हमारी बहुत सी छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियाँ जुड़ी हैं, जो लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाती हैं। इस चुनौती को हम कैसे सफलता में बदलें, इसमें आप सभी को महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी के चहुँमुखी विकास की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिला एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की है। विकास की एक सुनियोजित अवधारणा जमीन पर क्रियान्वित होना चाहिये। इस दिशा में प्रभावी तरीके से काम करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार त्रि-स्तरीय पंचायत राज को सुदृढ़ बनाने के लिये काम कर रही है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री की पहल पर पंचायत पदाधिकारियों की स्वेच्छानुदान राशि में वृद्धि के आदेश जारी भी हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के अधूरे कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाये।
अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह ने विभागीय उपलब्धियों की जानकारी दी। जिला एवं जनपद के सीईओ ने अपने-अपने क्षेत्र में ग्रामीण योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की जानकारी भी दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने नदी पुनर्जीवन पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन भी किया।