तीस प्रतिशत है मृत्युदर जारी निर्देश में कहा गया है कि यह बीमारी चूहे, छछून्दर, गिलहरी आदि से फैलती है, इसलिए इनके द्वारा कुतरे गए फल अथवा खाए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु ओरिएंटिया सुसुगैमुशी के कारण यह बीमारी होती है। इस बीमारी में सामान्य बुखार के साथ शरीर में छोटे-छोटे दाने, सूखे चकत्ते होते हैं। साथ ही सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना अन्य लक्षण शामिल हैं। ऐसा होने पर लोगों को तुरंत उपचार कराना चाहिए। चिंता वाली बात यह है कि इस बीमारी में मृत्युदर 30 फीसदी है।
ट्रीटमेंट गाइडलाइन जारी
ट्रीटमेंट गाइडलाइन जारी
विभाग ने बीमारी के दौरान इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी की है।
व्यस्क – डॉक्सीसिलीन 200 एमजी प्रतिदिन के साथ एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी कम से कम पांच दिन। बच्चे – डॉक्सीसिलीन 4.5 एमजी प्रति किलो प्रति दिन के हिसाब से, एजिथ्रोमाइसिन 10 एमजी प्रति किलो पांच दिन
गर्भवती महिलाएं – एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी कम से कम पांच दिन,
व्यस्क – डॉक्सीसिलीन 200 एमजी प्रतिदिन के साथ एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी कम से कम पांच दिन। बच्चे – डॉक्सीसिलीन 4.5 एमजी प्रति किलो प्रति दिन के हिसाब से, एजिथ्रोमाइसिन 10 एमजी प्रति किलो पांच दिन
गर्भवती महिलाएं – एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी कम से कम पांच दिन,
लक्षण और इस तरह करें बचाव
जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं। समस्या बढऩे के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है। यदि कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें। ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें। इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है।
जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं। समस्या बढऩे के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है। यदि कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें। ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें। इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है।