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संकट आने से पहले ही प्रभु की कृपा पहुंच जाती है, भगवान ने भी सीता माता को पहुंचाई थी कृपा

सकल समाज वरिष्ठ नागरिक समिति की ओर से जंबूरी मैदान में संगीतमय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है।

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सकल समाज वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति द्वारा जंबूरी मैदान में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा महोत्सव का समापन हुआ। इसमें लगभग 22 से 25 हजार राम भक्त कथा श्रवण करने पहुंचे। इस दौरान पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा और कई लोगों ने पंडाल के बाहर बैठकर कथा का श्रवण किया। इसके बाद भंडारा का आयोजन किया गया।

प्रवक्ता बलवंत सिंह ने बताया कि पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए ईको फ्रेंडली के तहत भंडारे का आयोजन किया गया। कथा के आठवें दिन, संत पंडित मुरलीधर ने लंका प्रसंग पर प्रवचन करते हुए कहा कि भक्तों के जीवन में संकट आने से पहले ही प्रभु की कृपा आ जाती है, जैसे अशोक वाटिका में सीता माता को प्रताड़ित करने से पहले भगवान राम ने हनुमान को भेजकर अपनी कृपा पहुंचा दी थी।

उन्होंने कहा कि भगवान पर भरोसा करने वाले का कभी अहित नहीं होता। उन्होंने हनुमान-विभीषण् का संवाद में 'संत- स्वभाव' पर बोलते हुए कहा, कि संत वही है जिसके जीवन में परमात्मा के सिवाय और कोई विषय नहीं रहता। जो जीव को संसार से नहीं, परमात्मा से जोड़ता है।

उन्होंने 'कंचन' (धन) को मार्ग की पहली बाधा बताते हुए कहा कि अर्थ का स्थान है, पर वह सब कुछ नहीं है। राजतिलक प्रसंग पर उन्होंने कहा, राम को सिंहासन की जरूरत नहीं, सिंहासन को राम की जरूरत है।

पवित्र मन में निवास करते हैं भगवान: उमाशंकर शर्मा

दूसरी तरफ भोपाल के मानस भवन श्यामला हिल्स के पं. रामकिंकर सभागार में भी रामकथा का आयोजन हो रहा है। पं. गोरेलाल शुक्ल स्मृति समारोह के अंतर्गत पं. उमाशंकर शर्मा व्यास के रामकथा पर प्रवचन हो रहे हैं। इस मौके पर आयोजित प्रवचन में उन्होंने जनकपुर में विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम, लक्ष्मण के आगमन का वर्णन किया। उन्होंने कहा महाराजा जनक ने मुनि विश्वामित्र, श्रीराम और लक्ष्मण को जो निवास दियथ्वह सीताजी का निवास था। इसका आध्यात्मिक अर्थ है कि सीताजी साक्षात भक्ति है और भक्ति ही भगवान का निवास होती है। इसी प्रकार उन्होंने पुष्प वाटिका प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा पुष्प को हम साहित्य में सुमन भी करते हैं, इसका अर्थ है पवित्र मन। जिसका मन पवित्र होता है, भगवान का वहा निवास होता है। कार्यक्रम में पूर्व विस अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने भी अपने विचार रखे।