
High Court's strictness on reservation in proportion to population to OBC in MP
OBC reservation : एमपी में ओबीसी वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग की जा रही है। इस मामले में एमपी हाईकोर्ट जबलपुर HC Jabalpur में एक याचिका भी लगाई गई है जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने खासी सख्ती दिखाई।
ओबीसी वर्ग का ब्योरा पेश नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने सरकार पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी देते हुए इसके लिए अंतिम मोहलत दी। एडवोकेट यूनियन फॉर डैमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की याचिका में प्रदेश में ओबीसी को आबादी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ प्रदान किए जाने की मांग की गई है लेकिन सरकार इस संबंध में अपना जवाब ही पेश नहीं कर रही है।
एडवोकेट यूनियन फॉर डैमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की याचिका में मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 51 प्रतिशत बताई गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत प्रदान की।
एमपी हाईकोर्ट ने सरकारी रुख पर ऐतराज जताया, युगलपीठ ने चेतावनी दी है कि अगली सुनवाई में जवाब पेश नहीं करने पर 15 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई जाएगी। याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 जून की तारीख तय की गई है।
हाईकोर्ट ने सरकारी रवैए पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सरकार को जवाब देने के लिए 2 हफ्ते की अंतिम मोहलत देते हुए ये भी साफ कर दिया है कि अब जवाब नहीं आने पर सरकार पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
एडवोकेट यूनियन फॉर डैमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की याचिका में ओबीसी वर्ग की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग की गई है। दावा किया है कि 2011 की जनगणना में मध्यप्रदेश में एससी की 15.6 प्रतिशत, एसटी की 21.14 प्रतिशत, ओबीसी की 50.9 प्रतिशत, मुस्लिम की 3.7 प्रतिशत और शेष 8.66 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग की जनसंख्या है। एमपी में वर्तमान में एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 20 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। याचिका में ओबीसी वर्ग की आबादी 51 प्रतिशत के अनुपात में ही आरक्षण देने की मांग की गई है।
याचिका में बताया गया है कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के मामले में देशी की शीर्ष कोर्ट ने ओबीसी की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों के नियमित परीक्षण के लिए स्थायी आयोग गठित करने के लिए सभी राज्यों को निर्देशित किया था। आयोग तो बनाया लेकिन ओबीसी के उत्थान के लिए कार्य नहीं किया जा रहा है।
हाईकोर्ट में इस याचिका पर एक साल में 11 बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन सरकार ने कोई जवाब पेश नहीं किया। यही कारण है कि कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 15 हजार के जुर्माने की चेतावनी के साथ राज्य सरकार को जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत दी।
Updated on:
07 Apr 2025 09:00 pm
Published on:
05 Apr 2025 03:47 pm
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