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शिशु सुरक्षा में पिछड़ा मध्यप्रदेश, सीएम मोहन यादव ने जताई चिंता

MP News: प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (आइएमआर) दो वर्षों में 43 से घटकर 40 प्रति हजार जीवित जन्म हो गई है। हालांकि, यह मामूली गिरावट है और प्रदेश अब भी देश में सबसे अधिक आइएमआर वाला राज्य बना हुआ है।

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CM Mohan Yadav

CM Mohan Yadav (फोटो सोर्स : ANI)

MP News: प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (आइएमआर) दो वर्षों में 43 से घटकर 40 प्रति हजार जीवित जन्म हो गई है। हालांकि, यह मामूली गिरावट है और प्रदेश अब भी देश में सबसे अधिक आइएमआर वाला राज्य बना हुआ है। गांव में स्थिति ज्यादा खराब है, जहां आइएमआर 43 है, जबकि शहरों में यह घटकर 28 रह गई है। बिहार, महाराष्ट्र में इस दर में तेज गिरावट आई है। इन राज्यों ने कुशल प्रसव और अच्छी पोषण नीति के जरिए सुधार किया है। इसका खुलासा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा गुरुवार को जारी एसआरएस बुलेटिन 2022 में हुआ।

सीएम डॉ. मोहन यादव(CM Mohan Yadav) ने गुरुवार रात कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में मातृ-शिशु मृत्यु दर पर चिंता जताई और सुधार के निर्देश दिए।

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ये प्रयास हुए, वो भी नाकाफी साबित रहे

● शिशुओं की देखभाल के लिए त्रिस्तरीय प्रणाली पर काम।

● 62 सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एनएनसीयू) क्रियाशील।

● 199 न्यूबोर्न स्टेबिलाइजिंग यूनिट (एनबीएसयू)।

● प्रसव केंद्रों पर न्यूबोर्न केयर कॉर्नर और जिला अस्पतालों में पीआइसीयू बनी।

● शिशु स्वास्थ्य संस्थानों में मुस्कान कार्यक्रम चला।

बिहार-महाराष्ट्र ने ऐसे कम किया आइएमआर

बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों ने जन्म के समय कुशल प्रसव, अच्छी प्रसवोत्तर देखभाल, स्तनपान और पर्याप्त पोषण, टीकाकरण और सामान्य बाल्यावस्था रोगों के उपचार जैसे बुनियादी जीवनरक्षक उपायों तक आसान पहुंच सुनिश्चित कर अपने यहां आइएमआर घटाई है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के विस्तार पर ध्यान दिया गया।

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गांव में अब भी ये सुधार जरूरी

- उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की नियुक्ति हो।

- हर जिले में कम से कम 5 सीएचसी को फर्स्ट रेफरल यूनिट बनाया जाना चाहिए।

- गायनिक और शिशु रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण अभी एफआरयू नहीं बन पाई हैं।

- प्रदेश में एसएनसीयू और एनबीएसयू की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।

(स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के अनुसार।)

स्रोत- एसआरएस बुलेटिन 2022, आंकड़े प्रति हजार जीवित जन्म में।