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आपके घर में रखा घी कितना शुद्ध है ? अब यहां पर होगी जांच

भोपाल। आप जिस आयुर्वेदिक सीरप, चूर्ण और टैबलेट का सेवन कर रहे हैं उसकी क्या गुणवत्ता है। शहद और घी की शुद्धता की क्या गारंटी है। इन सबकी जांच अब पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज की सेंट्रल लैब में हो सकेगी।

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आयुर्वेदिक औषधियों की जांच की सेंट्रल इंडिया की यह पहली लैब होगी। चार माह के भीतर यह शुरू हो जाएगी। लैब के छह हिस्से होंगे जिसमें नई दवाओं की खोज,जांच, औषधीय पौधे की उपयोगिता और बीमारियों पर रिसर्च होगी। कैंसर की आयुर्वेदिक औषधियों की जांच के साथ ही यहां भविष्य में जानवरों की दवाओं पर भी रिसर्च होगी।

औषधियों के सैंपल की जांच की जाएगी

सेंट्रल रिसर्च लैब के सह प्रभारी डॉ. नितिन उज्जालिया के अनुसार लैब में किस औषधीय पौधे का किस रोग पर कैसे असर होता है इसकी जांच होगी। दवा के अलावा पानी, घी व शहद के जांच की भी सुविधा होगी। रिसर्च के साथ औषधि निर्माता कंपनी भी सेंपल टेस्ट करवा सकेंगी।

लैब में रिसर्च कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। लैब का ज्यादातर भाग जल्द शुरू होने जा रहा है। लैब की मदद से आयुर्वेद विधि के फायदों को प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी। डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, पंडित खुशीलाल शर्मा

सेंट्रल लैब के चार भाग इसी माह होंगे शुरू

फार्मास्युटिकल केमेस्ट्री

औषधीय दवाओं (सीरप, चूर्ण व टेबलेट) में उपलब्ध रासायनिक तत्व की क्वालिटी देखी जाएगी। दवा कितनी मात्रा में कौन सी औषधि होनी चाहिए इसका परीक्षण होगा। दवाएं तय मापदंड के अनुरूप हैं या नहीं इसकी भी परख होगी।

फार्माकोग्नोसी

औषधीय पौधों की वैज्ञानिक जांच और पहचान होगी। ताकि एक जैसे दिखने वाले पौधों की जांच कर अंतर किया जा सके। पौधों के औषधीय गुण, किस बीमारी में उपयोग आदि की जांच के लिए एडवांस माइक्रोस्कोप लगाए गए हैं। ताकि पौधों के सेल को जांचा जा सके।

माइक्रोबायोलॉजी

कॉम्बिनेशन से कुछ दवाएं बनाई जाएं तो उनसे क्या फायदा-नुकसान होगा। औषधियों की एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल क्षमता जांचेंगे। दवा कितने दिन तक और किस तापमान में सुरक्षित रखी जा रहती है यह पता चल सकेगा।

बायोकेमेस्ट्रीङ

वायरस, बैक्टीरिया से होने वाली संक्रामक बीमारियों की जांच होगी।