. कुपोषण दूर करने के प्रयासों को अफसरशाही ने एक बार फिर झटका दिया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पोषण आहार आपूर्ति का काम स्व-सहायता समूहों या पब्लिक सेक्टर एजेंसी को देने के लिए कहा था। अफसरों ने पोषण आहार के टेंडर डॉक्यूमेंट के नए प्रस्ताव में निजी कंपनियों का रास्ता खोल दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस के निर्देशों की भी अनदेखी कर दी।
सीएम ने पोषण आहार आपूर्ति को सुदृढ़ करने के लिए चिटनीस और स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह व अन्य अफसरों की कमेटी बनाई थी। तब सीएम ने कहा था कि पोषाहार आपूर्ति का काम स्व-सहायता समूहों को दिया जाएगा। कमेटी ने महिला बाल विकास विभाग के अफसरों को टेंडर के लिए निविदा बनाने को कहा। अब अफसरों ने इसकी बजाए नया प्रस्ताव तैयार कर दिया। इसमें निजी कंपनियों को भी टेंडर में भाग लेने का अधिकार देना प्रस्तावित कर दिया। इसमें बड़ा पेंच यह रहा कि निजी कंपनियों के हिस्सेदारी करने की स्थिति में पुरानी कंपनियों भी टेंडर भरने के लिए पात्र हो जाती। एमपी एग्रो के बैनर तले अभी जिन कंपनियों ने आपूर्ति में भ्रष्टाचार किया, वो भी पात्र हो गईं। चिटनीस ने प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया को नोटशीट लिखकर पूरी स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
तीन आईएएस, पर सभी ने भेजा गलत प्रस्ताव
1. निधि निवेदिता, परियोजना संचालक, आईसीडीएस इनकी जिम्मेदारी थी टेंडर डॉक्यूमेंट बनाना, लेकिन इसकी बजाए निजी कंपनियों को भाग लेने देने का प्रस्ताव बनाकर भेजा।
2. पुष्पलता सिंह, आयुक्त, आईसीडीएस इनकी जिम्मेदारी थी कि अधिनस्थ अधिकारी से आए प्रस्ताव को देखे और सही करके प्रमुख सचिव को भेजे। इन्होंने उसी प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया।
3. जेएन कंसोटिया, पीएस, महिला बाल विकास इनकी जिम्मेदारी थी मंत्री के निर्देश के हिसाब से डॉक्यूमेंट बनवाए, लेकिन इन्होंने भी नीचे से आए प्रस्ताव को मंजूर करके मंत्री को भेज दिया।