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कम्युनिकेशन गैप और ईगो खत्म कर लें तो नहीं आएगी तलाक की नौबत

आनंद विहार कॉलेज फॉर वुमंस में 'डायवोर्स' पर इंट्रैक्टिव सेशन

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भोपाल। क्या आपकी शादी भी ऐसे किसी दोराहे पर खड़ी है? आपके जीवन-साथी ने आपके भरोसे को तोड़ा हो या फिर बार-बार होने वाले झगड़ों की वजह से आपके रिश्ते में पहले जैसी मिठास नहीं रही। शायद आप खुद से कहते होंगे, 'हमारे बीच अब प्यार नहीं रहा, या 'हम एक-दूसरे के लिए बने ही नहीं थे'। आपके मन में यह भी खयाल आता होगा कि शायद हमें तलाक ले लेना चाहिए लेकिन तलाक का फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। पहले इस बारे में अच्छी तरह सोच-विचार कर लीजिए।

यह जरूरी नहीं कि तलाक लेने से आपकी जिंदगी में छाए परेशानी के काले बादल छंट जाएंगे। ऑल इंडिया वुमन कॉन्फ्रेंस की सीनियर काउंसलर रीता तुली ने यह बातें गुरुवार को आनंद विहार कॉलेज फॉर वुमंस में 'डायवोर्स' विषय पर आयोजित एक इंट्रैक्टिव सेशन के दौरान कही। कार्यक्रम का शुभारंभ ऑल इंडिया वुमंस कॉन्फ्रेंस की प्रेसिडेंट मधु सरन द्वारा किया गया। इस दौरान लीगल एडवाइजर सुशीला गोयल और रीता वर्मा ने भी विषय की गंभीरता को विस्तार से समझाया और इसके दुष्परिणामों के बारे में बताया। जब बहुत ही क्रिटिकल सिचुएशन हो तभी तलाक की बात आती है।

तलाक के केसेज में 10 गुना इजाफा

काउंसलर रीता तुली ने कहा कि जब आपको लगे कि पार्टनर आपकी मोरल, सोशल, इकोनॉमिकल ड्यूटीज को नहीं समझ रहा है तो ऐसे में एक छत के नीचे घुट-घुट कर रहने में कोई फायदा नहीं। ज्यादातर मामलों में तलाक फाइल करने के पीछे सबसे बड़ी वजह संवाद हीनता या खुद को सुपीरियर दिखाने का ईगो होता है। पहले फैमिली कोर्ट में मंथली 400 केसेज फाइल होते थे लेकिन अब इसकी तादाद 10 गुना तक बढ़ चुकी है।

यूपी को पीछे छोड़ पहली बार एमपी को 'मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट' अवॉर्ड

वर्ष 2017 के विजेता राज्य यूपी को पछाड़ते हुए पहली बार मध्यप्रदेश को 'मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट' अवॉर्ड मिला है। गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट' अवॉर्ड की घोषणा हुई। अब 3 मई को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के वितरण के दौरान राष्ट्रपति द्वारा मप्र को यह अवॉर्ड प्रदान किया जाएगा। मप्र द्वारा अपने यहां फिल्मांकन में सहूलियत सुनिश्चित करने के प्रयासों को देखते हुए यह अवॉर्ड दिया गया है।

मप्र सुव्यवस्थित वेबसाइट बनाने और फिल्म संबंधी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के साथ-साथ विभिन्न तरह के ग्राउंड सपोर्ट में मदद देता है। मप्र फिल्मों से संबंधित डेटाबेस का रख-रखाव बढिय़ा ढंग से कर रहा है। ज्यूरी ने इसमें भाग लेने वाले राज्यों में दिल्ली, मुम्बई यूपी, राजस्थान, गुजरात समेत 16 राज्यों में से मप्र का चयन सर्वसम्मति से किया गया। मप्र को उन जाने-माने फिल्म निर्माताओं की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया या फीडबैक मिला है जो यहां पहले शूटिंग कर चुके हैं। पुरस्कारों के लिए राज्य द्वारा अपनी दावेदारी पेश करने के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की गई।

वहीं उत्तराखंड राज्य को अपने यहां फिल्म अनुकूल परिदृश्य सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को ध्यान में रखते हुए स्पेशल मेंशन अवॉर्ड दिया गया है। ज्यूरी की अध्यक्षता जाने-माने फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी ने की। ज्यूरी में फिल्म निर्माता नागराज मंजुले, राजा कृष्ण मेनन, विवेक अग्निहोत्री और मोशन पिक्चर डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के एमडी उदय सिंह शामिल रहे।