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भारत की संस्कृति को मंच पर किया साकार.. देखें कैसे!

रवींद्र भवन में कलाजंलि कला उत्सव का आयोजन

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भोपाल। भारत एक समृद्ध संस्कृति वाला देश है जो विभिन्न प्रकार की नृत्य शैलियों के लिए जाना जाता है। उसके परंपरागत, शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य शैली विश्वप्रसिद्ध है। भारत के अविश्वसनीय पारंपरिक नृत्यों की शुरुआत प्राचीन काल के दौरान हुआ और इन्हें शास्त्रीय नृत्य की नींव माना जाता है। भारतीय संस्कृति की कुछ ऐसी ही झलकियां देखने को मिली गुरुवार को रवींद्र भवन के सभागार में। यहां कलांजलि संस्था की ओर से 19वां कला उत्सव का आयोजन किया गया।

कलांजलि संस्था क्लासिकल आर्ट को प्रमोट करती है जिसके तहत संस्था के कलाकारों ने कई राज्यों के नृत्य और शास्त्रीय संगीत को एक मंच पर समेट दिया। इस दौरान करीब 100 नन्हें कलाकारों ने विभिन्न प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम के दौरान अनन्या प्रसाद को सम्मानित किया। जिन्हें भरतनाट्यम नृत्य के लिए मानव संसाधन विभाग की ओर से सीसीआरटी स्कॉलरशिप दी गई है। कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और संस्कृति विभाग के सचिव मनोज श्रीवास्तव मौजूद रहे।

15 कलाकारों ने पेश किया तिल्लाना
कार्यक्रम का आगे बढ़ाते हुए कलाकरों ने तिल्लाना की प्रस्तुति दी, जो हिंदुस्तानी तराना पर आधारित रहा। तिल्लाना कर्नाटक संगीत में लय बद्ध गीत है जो शास्त्रीय भारतीय नृत्य प्रस्तुतियों में व्यापक रूप में प्रयोग किया जाता है। जिसमें स्वर और जाति के बोल शामिल होते हैं। इसमें 15 कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी।

15 कलाकारों ने फूलों और श्लोकों से की देवताओं की प्रशंसा
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत में पुष्पांजलि की प्रस्तुति दी गई। जिसमें 15 कलाकारों ने फूलों और श्लोकों के द्वारा देवताओं की प्रशंसा की गई। जिसमें उनके आनंद रूपों का वर्णन किया। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति शिवामायम की रही, जिसमें शिव के आनंद तांडव नृत्य को एक जोरदार नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया, जो निमार्ण, विघटन और सरंक्षण का चक्र स्त्रोत है। शिव नटराज के रूप में नृत्य के सर्वोच्च माने जाते हैं।

अलारिपु नृत्य से भगवान और दर्शकों का सम्मान
कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति अलारिपु की रही। जो पारंपरिक रूप से नृत्य का पहला तुकड़ा रहा। यह नृत्य भारतनाट्यम सीखने वाले नए कलाकार का पहला नृत्य भी होता है। यह नृत्य एक ताल पर आधारित रहा, जो भगवान और दर्शक दोनों के सम्मान में पेश किया जाता है।

कर्नाटक का शास्त्रीय संगीत
कार्यक्रम के अंतिम क्षणों में कलाकारों ने कनार्टक का शास्त्रीय संगीत पेश किया। इस दौरान छाया, कुसुम, हिमांशु चौधरी, रितिक गुप्ता और प्रणव प्रदीप ने राग आरभी में सातेंच... की प्रस्तुति दी। इसके बाद राग इंदौलम में उन्होंने पदमनाभ पाघी को पेश किया। अंत में इन कलाकारों ने कलांजलि थीम सॉन्ग सुनाया, जिसके बोल 'संस्कृति का आंगन...' रहे।