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आरटीआई आवेदन लेने से किया इंकार तो भुगतना पड़ेगा 25000 का जुर्माना

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आरटीआई आवेदन की डाक लौटाने के मामले में सतना के प्राचार्य के ऊपर ₹25000 का जुर्माना लगाया है। सिंह ने एक प्रकरण मे जाँच की और पाया प्रकरण में पर्याप्त साक्ष्य जैसे लौटाई गई डाक के लिफाफे पर दर्ज डाकिए की टीप और डाक भेजने की रसीद है।

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आरटीआई आवदेन लेने से इंकार करना अब अधिकारियों को भारी पड़ सकता है। क्योंकि अब अगर किसी अधिकारी ने आरटीआई का आवेदन लेने से इंकार किया तो उसे 25000 का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। दरअसल जानकारी छुपाने के चक्कर में कई अधिकारी अपने कार्यालय में आरटीआई आवेदन लेने से ही इंकार कर देते हैं। क्योंकि अधिकारी यह मानकर चलते हैं कि अगर आरटीआई आवेदन अपने कार्यालय में लेने से इंकार कर देंगे तो आरटीआई आवेदन दायर नहीं माना जाएगा और आगे वह कार्रवाई से बच जाएंगे।

प्राचार्य पर ठोका 25000 का जुर्माना

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आरटीआई आवेदन की डाक लौटाने के मामले में सतना के प्राचार्य के ऊपर 25000 का जुर्माना लगाया है। सिंह ने एक प्रकरण मे जाँच की और पाया प्रकरण में पर्याप्त साक्ष्य जैसे लौटाई गई डाक के लिफाफे पर दर्ज डाकिए की टीप और डाक भेजने की रसीद है। सिंह ने अपने आदेश मे स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के तहत सभी नागरिकों को आरटीआई आवेदन दायर करने का अधिकार है और अगर कोई लोक सूचना अधिकारी आरटीआई आवेदन लेने से मना करता है तो वह इस धारा का उल्लंघन करता है। वही कोई अधिकारी अगर आरटीआई आवेदन लेने से मना करता है तो आरटीआई आवेदक सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 18 के तहत आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कर सकते हैं। वही धारा 20 मे बिना किसी कारण आवेदन लेने से इंकार करने पर दोषी अधिकारी के विरुद्ध जुर्माना लगाने का प्रावधान है।


बहानेबाज थानेदार पर भी लग चुका है जुर्माना

पूर्व में सिंगरौली के थाना प्रभारी के ऊपर भी 25000 का जुर्माना लगाया गया क्योंकि उनके द्वारा आरटीआई आवेदन की डाक को चार बार वापस किया गया जब आयोग ने उनको तलब किया तो थाना प्रभारी ने बहाना बनाते हुए सफाई दी कि बाहर का कोई आदमी थाने के अंदर आकर बार-बार डाक को लौटा देता था। इस प्रकरण में जुर्माना लगाने के साथ-साथ राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने थाना प्रभारी के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के भी निर्देश दिए क्योंकि थाना प्रभारी थाना में डाक की व्यवस्था को ही नहीं संभाल पा रहे थे।

कई अधिकारी इसी गलतफहमी का शिकार

उक्त प्रकरण में सतना जिले के शासकीय कप्तान लाल प्रताप सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खरमसेड़ के प्राचार्य रामनिवास कुशवाहा प्राचार्य ने आरटीआई आवेदक मुन्ना लाल पटेल की रजिस्टर्ड डाक लौटा दी। डाक लौटाने पर डाकिए द्वारा लिफाफे के ऊपर यह टीप दर्ज की गई कि प्राप्तकर्ता ने लेने से इंकार किया। सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान जब कुशवाहा को सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने नोटिस जारी किया तो उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि उनके द्वारा डाक नहीं लौटाई गई और उनकी जानकारी में नहीं है कि डाक किसने लौट आई। सिंह ने कुशवाहा को डाक विभाग से अपने पक्ष में स्पष्टीकरण लाने को कहा तो वे डाक विभाग से अपने पक्ष में कोई स्पष्टीकरण नहीं ला पाए। सिंह ने एक महीने का समय कुशवाहा को दिया है 25000 जुर्माने की राशि को जमा करने के लिए। सूचना आयुक्त राहुल ने कहा कि कई अधिकारी इस गलतफहमी का शिकार है कि आरटीआई आवेदन लौटाने पर उनपर कार्रवाई नहीं होगी। पहले भी सिंह आरटीआई आवेदन की डाक लौटाने के कई मामलों में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जुर्माने की कार्रवाई कर चुके हैं।