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सरकार की अनदेखीः शिक्षा की रोशनी से दूर दृष्टि बाधित बच्चे

मध्य प्रदेश में पांच साल से नहीं छपी ब्रेललिपि की किताबें

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भोपाल. प्रदेश के दृष्टिबाधित बच्चे शिक्षा की रोशनी से दूर होते जा रहे हैं। पांच सालों से इन्हें ब्रेल लिपि की किताबें नहीं मिली हैं। नोवी से जी बारहवीं तक के बच्चे किताबों के अभाव में आगे की पढ़ाई करने में असमर्थ हैं। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेशभर के विभिन्‍न जिलों में चिहिनत दृष्टिबाघधित बच्चों के लिए कक्षा के हिसाब से ब्रेल लिपि की पाट्यपुस्तकें मुहैया कराई जाती हैं।

ये किताबें भोपाल स्थित राज्य शिक्षा केंद्र की प्रेस में तैयार होती हैं। राज्य जिक्षा केंद्र ने इस साल पहली से आठवीं तक के 1254 बच्चों के लिए ब्रेल लिपि की पाठ्यपुस्तकें तैयार कर संबंधित जिलों में उपलब्ध कराने की तारीख तय कर दी है, लेकिन नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थोों को 2016 से ही पाठ्यपुस्तकें नहीं मिली हैं। इसकी वजह जरूरी सिलेबस ब्रेल प्रेस नहीं पहुंचाना है।

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सिलेबस में बदलाव
किताबों की छपाई के लिए कई बार लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र भेजा जा चुका है। संचालनालय के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास इसकी जानकारी नहीं है। बता दें कि एनसीआरइटी ने पांच साल पहले 9वीं से 12वीं के दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए सिलेबस में बदलाव किया है।

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किताबें पहुंचाना है घर
राज्य शिक्षा केंद्र ने 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए ब्रेल लिपि की मुहैया कराने 52 जिलों में 27 अगस्त से 10 सितंबर तक की तारीख तय की है। इन किताबों को संबंधित - जिलों के एपीसी की मॉनीटरिंग में बच्चों के घरों तक पहुंचाई जाएगी।

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संचालनालय को नहीं पता कितने हैं विद्यार्थी
लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि प्रदेशभर में नौवीं से बारहवीं के विद्यार्थियों की संख्या कितनी है। जानकारी के मुताबिक इन चारों कक्षाओं में हर साल औसतन 200 से अधिक विद्यार्थी रहते हैं।

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लोक शिक्षण संचालनालय में संचालक केके द्विवेदी ने बताया कि नौवी से बारहवी की कक्षाओं के लिए सिलेबस में बदलाव हुआ था। संचालनालय स्तर पर कहां कमी रही वजह से इन कक्षाओं की किताबें नही छपी हैं। इसका पता लगाया जा रहा है। दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को ब्रेल लिपि की किताबें मुहैया करवाई जाएंगी।