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कमिश्नर प्रणाली में जोन की सीमाओं में लगातार उठ रहे विवाद, सबसे ज्यादा विवाद जोन चार में, 22 किमी दूर जाते हैं फरियादी

- सीएम की संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक में 50 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य रखे, मेट्रो और बीआरटीएस पर भी चर्चा

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कमिश्नर प्रणाली में जोन की सीमाओं में लगातार उठ रहे विवाद, सबसे ज्यादा विवाद जोन चार में, 22 किमी दूर जाते हैं फरियादी

कमिश्नर प्रणाली में जोन की सीमाओं में लगातार उठ रहे विवाद, सबसे ज्यादा विवाद जोन चार में, 22 किमी दूर जाते हैं फरियादी

भोपाल. कमिश्नर प्रणाली में जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों के थानों को मिलाकर चार जोन बनाए गए हैं। जिसमें जोन की सीमाओं को लेकर दो साल से विवाद उठ रहे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण जोन चार और उसके सात थाने, जिसमें चूना भट्टी, कोलार, निशातपुरा, गांधी नगर, छोला मंदिर, बैरागढ़, खजूरी सड़क हैं। इनमें अक्सर जोन सीमाओं को लेकर विवाद रहता है। जोन चार के डीसीपी का कार्यालय गांधी नगर में है, जबकि इस जोन के थाने कोलार तक है, ऐसे में यहां के पीड़ितों को अगर जोन चार के अफसर से मिलना है तो 20 से 22 किमी दूर गांधी नगर जाना होता है। अब सीएम के निर्देश के बाद फिर से सीमाएं तय की जाएंगी।

इसी तरह शहर और ग्रामीण इलाकाें के थानों को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनती रहती है, कुछ थानों की सीमाएं शहरी क्षेत्र में हैं, लेकिन वह आती ग्रामीण जोन में हैं। ऐसे में फरियादी परेशान होता है और अफसरों के बीच भी आपस में वाद विवाद की स्थिति बनती है। इसको लेकर सीएम मोहन यादव ने साफ कहा कि फरियादी परेशान न हो। इसके लिए जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर नए सिरे से जोन और थानों की सीमाओं का निर्धारण करें।

कुछ विसंगति ये भी हैं- रातीबड़ थाने में ग्रामीण क्षेत्र आते हैं, लेकिन इसे शहरी क्षेत्र के थानों के साथ जोन-1 में जोड़ा गया है।

- कटारा थाने क्षेत्र में रहने वाले कुछ परिवार बिलखिरिया थाना क्षेत्र में आते हैं, चोरी पर उन्हें 12 किमी दूर जाना होता है।

80.96 करोड़ की लागत से बनने वाली 7.47 किमी लंबी सड़क कम करेगी ट्रैफिक दबावतेजी से विकसित होते शहर में ट्रैफिक और अतिक्रमण बड़ी समस्या बन गया है। शहर में नई सड़कें और फ्लाईओवर की जरूरत है। भोपाल की संभागीय समीक्षा बैठक में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की तरफ से प्रस्तुत किए प्रजेंटेशन में पुराने शहर के ट्रैफिक को रफ्तार देने पुल बोगदा से रॉयल मार्केट वाया शाहजहांनाबाद से भोपाल टाॅकीज रेलवे क्रॉसिंग तक 7.47 किमी नई सड़क की जानकारी दी। 80.96 करोड़ लागत से बनने वाली इस सड़क से पुराने शहर मेें रोजाना करीब तीन लाख वाहनों का दबाव कम होगा। इसके लिए 24 जनवरी को टेंडर निकाले जा रहे हैं।

- गणेश मंदिर से लेकर गायत्री मंदिर तक बन रहे 2734 मीटर लंबे फ्लाईओवर नए शहर के ढाई से तीन लाख वाहनों को रफ्तार देगा। जनवरी माह के लास्ट में इसे शुरू करने की तैयारी है।- बैरागढ़: बैरागढ़ में सीवेज पंप हाउस लाउखेड़ी से नगर निगम विसर्जन घाट तक 2600 मीटर लंबा फ्लाईओवर जिसकी लागत 247.46 करोड़ रुपए है। ये उपनगर बैरागढ़ के ट्रैफिक को रफ्तार देगा। आने वाले समय में ये तीन प्रमुख सड़क और फ्लाईओवर भोपाल की 30 लाख से ज्यादा आबादी की जरूरत है।

सड़क बनने के दौरान खंभे शिफ्ट में देरी- रामेश्वर

नई सड़कें प्रस्तावित हो जाती हैं, कुछ बन भी जाती हैं, लेकिन बिजली विभाग के अफसर एनओसी जारी करने में हीला हवाली करते हैं, इससे वहां के खंभे शिफ्ट नहीं कर पाते। नतीजा काम में देरी और सड़क बन गई तो हादसे, अवधपुरी हो या कोलार, ऐसे एक नहीं कई स्थानों पर स्थिति। ये बात संभागीय समीक्षा बैठक में हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने कही। इस पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि अफसर और जनप्रतिनिधी समन्वय से काम करें। जो समस्या है, उसका निराकरण विभाग करें। विधायक ने एक एसटीपी को लेकर निगमायुक्त से कहा कि अफसर मनमर्जी से कुछ भी बना रहे हैं।

विश्वकर्मा योजना के काउंटर लगाए जाएं-कृष्णा गौरबैठक में ही पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान विशकर्मा योजना के काउंटर लगने चाहिए। इस पर सीएम ने निर्देश दिए कि डीजे संचालन में लगे युवाओं के पुनर्वास के लिए विश्वकर्मा योजना सहित नगरीय निकायों के साथ मिलकर रोजगार की अन्य योजनाएं संचालित करें।