
जितनी लागत में बनी सरदार पटेल की मूर्ति उतने में बदल सकती थी किसानों की तकदीर !
भोपाल. दुनियाभर में अपनी राष्ट्रीय शख्सियतों को आदर देने और इतिहास में उनके योगदान को अविस्मरणीय बनाने के लिए उनकी भव्य प्रतिमाएं बनाई जाती हैं...अबइस कड़ी में भारत का भी नाम शआमिल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे और देश में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें लौह पुरूष कहा जाता है। पीएम मोदी ने करीब ३ हजार करोड़ रुपए खर्चकर इस मूर्ति का निर्माण गुजरात के नर्मदा जिले में कराया है। नर्मदा जिले के नर्मदा जिले के नर्मदा सरोवर बांध पर बनी इस मूर्ति की ऊंचाई 153 मीटर है। इस मूर्ति को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया है। इस मूर्ति को ७ किलो मीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। लेकिन सात किलोमीटर से देखी जा सकने वाली इस मूर्ति की की छाया में किसानों का दर्द दिखाइ नहीं देगा।
किसानों की बदल सकती थी किस्मत: ये मूर्ति बेसक ये देश के लिए गौरव की बात है। पर जितनी लागत से इस मूर्ति का निर्माण किया गया है उतनी लागत में अगर किसानों के हित में खर्च की जाती तो किसानों की किस्मत बदल सकती थी। गुजरात से सटे मध्यप्रदेश के कई जिले आज भी सिंचाई से संचित हैं तो जिस सरदार सरोवर बांध पर इस मूर्ति की स्थापना की गई है जिस बांध के निर्माण के कारण मध्यप्रदेश का बड़वानी जिला डूब का दंश झेल रहा है और आज तक यहां के विस्थापितों को उचित लाभ नहीं मिल सका है। सरकार अगर यही तीन सौ करोड़ रुपए किसानों के हित में खर्च करती तो संभवत किसानों की बहुत सी समस्याएं दूर हो सकती थीं।
पश्चिमी निमाड़ क्षेत्र की बात की जाए तो यहां सबसे बड़ा मुद्दा किसानों और विस्थापन का है। दरअसल, बड़वानी और धार जिले में सरदार सरोवर बांध की ऊचाई बढ़ाने के बाद विस्थापित किए प्रभावितों का आज तक पुनर्वास नहीं हो पाया है। वहीं, किसान आज भी अपनी फसल की लागत के दाम के लिए परेशान हैं। नर्मदा नदी के इतने नजदीक होने के बाद भी खंडवा जिले तक आज भी नर्मदा का पानी पहुंच नहीं पाया है। तो वहीं, बुरहानपुर में केला किसानों को उनका हक नहीं रहा है। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से धार, बड़वानी और खरगोन जिले के करीब 140 गांव डूब में हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन और मेधा पाटकर के नेतृत्व में लोग बेहतर पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। इन जिलों में जलसत्याग्रह अब आम बात हो गई है लेकिन अभी तक इनका निदान नहीं हो सका है।
गुजरात में भी किसानोंको नहीं मिलेगा: सरदार सरोवर बांध पर बनाई गई इस मूर्ति का लाभ दक्षिणी गुजरात के नर्मदा ज़िले में रहने वाले किसानों को भी नहीं मिलेगा। इतनी बड़ी रकम अगर सूबे के ज़रूरतमंदों को मदद के तौर पर दी जाती तो शायद उनकी हालत काफ़ी सुधर सकती थी। उन किसानों के हालात तो सुधर ही सकती थी जो नर्मदा नदी के किनारे तो रह रहे हैं पर उनके खेतों में नर्मदा का पानी नहीं पहुंच रहा है।
Published on:
31 Oct 2018 11:34 am
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