घर की दीवारों पर लिखी दर्द की कहानी
मैकेनिक संजीव जोशी के परिवार के पांच सदस्यों ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। जिसमें उनकी पत्नी अर्चना जोशी, बड़ी बेटी ग्रिसमा जोशी इंजीनियरिंग पढ़ रही है, जबकि 16 साल की छोटी बेटी पूर्वी स्कूल में पढ़ती है। संजीव की मां नंदिनी जोशी भी उनके साथ ही रहती हैं। इस घटना में छोटी बेटी पूर्वी जोशी और दादी नंदिनी जोशी की मौत हो गई। जबकि संजीव, पत्नी अर्चना और बड़ी बेटी ग्रेसिया अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। घर की दीवारों पर परिवार ने अपना दर्द बयां किया है और उन गुनहगारों के नामों का भी जिक्र किया है जिनसे तंग आकर परिवार ने ये आत्मघाती कदम उठाया है।
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बेटी ग्रेसिया ने सोशल मीडिया पर छोड़ा सुसाइड नोट
परिवार की बड़ी ग्रिसमा ने सोशल मीडिया पर भी एक सुसाइड नोट छोड़ा है। जिसमें उसने किसी बबली आंटी, राजू भैया के नाम का जिक्र किया है जिन्होंने परिवार को काफी परेशान किया।
सुसाइड नोट-
‘यार सब खत्म हो गया। मुझे डेटा साइंटिस्ट बनाना था। सारे सपने सारी लाइफ सारे गोल्स सब खत्म..बबली आंटी क्यों किया आपने ऐसा हमारे साथ। हमने क्या बुरा किया था आपके साथ। इतना तड़पाया आपने हमें…मेरे जाने के बाद जो भी ये नोट्स ओपन करता है तो प्लीज मेरी बात बबली आंटी तक पहुंचा देना कि फिर कभी किसी के साथ ऐसा मत करना किसी को इतना मत तड़पाना। राजू भैया कितना मानती थी मैं आपको आपने भी ऐसा किया कभी सोचा नहीं था। प्लीज हमारे मरने के बाद किसी और के साथ ऐसा मत करना…सब कुछ आज खत्म हो जाएगा लेकिन जो भी हमारे साथ हुआ ये सब को पता चलना चाहिए कि हमारे साथ ये सब बबली आंटी और उनकी गैंग ने किया है…कभी ये बात नहीं बता पाई लेकिन रोज़ मर मर के जीने से अच्छा है कि आज हम सब मर जाएं। बहुत बुरा समय काटा है बस अब और सहन नहीं होता..बीएसएस डेटा साइंटिस्ट बनने का सपना सपना ही रह गया। मुझे भी दोस्तों के साथ बाहर घूमाना था, एक्सप्लोर करना था..टीनेजर की तरह जिंदगी को एंजॉय करना था।
एक अनुरोध है कि प्लीज मेरे जाने के बाद एक रोटी किसी भी जानवर को खिला देना…
हेट यू एवरीवन जिस किसी ने भी हमें खून के आंसू रूलया है
सभी को अलविदा
ग्रिसमा जोशी..’
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दीपावली पर नहीं खरीद पाए थे एक भी दीया..
मैकेनिक संजीव जोशी के ही पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति के मुताबिक संजीव का परिवार काफी कठिनाई में था। सूदखोर रोजाना आकर परिवार को डराते धमकाते थे और बेटियों को उठा लेने की धमकियां तक देते थे। परिवार की हालत इतनी खराब थी कि इस दिवाली पर परिवार ने एक भी दीया तक नहीं खरीदा था।
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