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बीमा प्रीमियम में घोटाला, 150 करोड़ की चपत

प्रदेश में आम आदमी बीमा योजना के नाम पर गजब घोटाला हुआ है।

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भोपाल

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Umesh yadav

Jun 27, 2018

insurance agent fraud with sangria married couple

insurance agent fraud with sangria married couple

भोपाल@रिपोर्ट- जितेन्द्र चौरसिया,

प्रदेश में आम आदमी बीमा योजना के नाम पर गजब घोटाला हुआ है। इसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में मर्ज करना था, लेकिन तहत तीन साल तक बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों योजनाओं में अलग-अलग प्रीमियम भरा जाता रहा। इससे सरकार को 150 करोड़ से ज्यादा की चपत लगी है। प्रीमियम और हितग्राही को लेकर गड़बड़ी भी सामने आई, लेकिन प्रदेशस्तर पर जांच नहीं की गई।

केंद्रीय श्रम व रोजगार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 26 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आम आदमी बीमा योजना के हितग्राहियों को पीएम जीवन ज्योति व पीएम सुरक्षा बीमा योजना में मर्ज करने के लिए लिखा है। इससे पूर्व नवंबर 2017 में भी केंद्रीय मंत्री ने ऐतराज जताया था। बीमा के तहत सामान्य मौत पर 30 हजार, दुर्घटना या आकस्मिक मौत पर 75 हजार और स्थायी अपंगता पर 37500 की मदद का प्रावधान है। बीमित व्यक्ति के दो बच्चों को छात्रवृत्ति की सुविधा।

ऐसे समझें बीमा योजनाएं
पहले स्वामी विवेकानंद समूह बीमा योजना थी। आम आदमी बीमा योजना 2 अक्टूबर 2007 से लागू हुई। एक जैसी होने के कारण पहली योजना 31 मार्च 2008 को बंद कर दी गई। आम आदमी बीमा योजना के एक साल बाद जनश्री बीमा योजना आई। अंतर सिर्फ यह कि आम आदमी योजना में गरीबी रेखा से ऊपर वाले परिवार थे तो जनश्री में गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार।

मई 2013 में तय किया गया कि दोनों योजनाओं को मर्ज किया जाए। सूचियों में समान हितग्राही के नाम आ गए थे, लेकिन हकीकत में दोनों योजनाएं चलती रहीं। मई 2015 में पीएम मोदी की जीवन ज्योति बीमा योजना आई। समान स्वरूप होने से आम आदमी को मर्ज करना तय किया गया, लेकिन फिर वही स्थिति। तमाम गड़बड़ी मिलने पर भी तीन साल से अलग-अलग है।

अपात्र शामिल, पात्र को क्लेम नहीं
पात्र व्यक्तियों को आम आदमी बीमा का लाभ नहीं मिला। वहीं, अपात्रों की जांच नहीं की गई। 2016-17 में 34991 पात्र पाए गए, लेकिन क्लेम के लिए 13450 प्रकरण ही भेजे गए। इनमें से 9911 को क्लेम मिला। बाकी रिजेक्ट कर दिए गए। इसके बाद 2017-18 में 38000 पात्र में से केवल 12000 का क्लेम भेजा गया।

उसमें केवल 7000 को क्लेम मिला। तत्कालीन प्रमुख सचिव ने लिखा कि चिह्नाकिंत सूची सही नहीं है। न क्लेम सही तरीके से भेजे गए। सूची सत्यापन के लिए लिखा गया, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। प्रदेश के सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा, आम आदमी बीमा योजना को पीएम की बीमा योजना में मर्ज करना था। हितग्राहियों को मर्ज भी कर लिया था, लेकिन यदि कहीं अलग-अलग योजना है तो दिखवाता हूं।