21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एफआइआर को लेकर आरटीआई में रोचक मामला

सूचना अधिकार के तहत कॉपी दी जाए या नहीं, सूचना आयोग ने शुरू की जांच, सरकार से भी मांगा जवाब

2 min read
Google source verification
एफआइआर को लेकर आरटीआई में रोचक मामला

एफआइआर को लेकर आरटीआई में रोचक मामला

भोपाल। एफआइआर (FIR) को लेकर राज्य सूचना आयोग में रोचक मामला सामने आया है। आयोग जांच कर रहा है कि एफआईआर की कॉपी आरटीआई (RTI) के तहत दी जा सकती है या नहीं। इसके लिए आयोग ने सरकार से भी जबाव मांगा है। असल में यह पूरा मामला इसको सार्वजनिक दस्तावेज मानने से जुडा है। पुलिस ने कुछ मामलों में तो एफआइआर की कॉपी इस आधार पर देने से इंकार दिया कि इससे यह अभियोजन और जांच प्रभावित होगी, जबकि कुछ मामलों में एफआइआर की कॉपी आवेदक को दे दी गई।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश में कहा कि सिर्फ अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी यह दावा करने मात्र से जानकारी को नहीं रोका जा सकता है पुलिस विभाग को आयोग के समक्ष साक्ष्य के साथ स्पष्ट करना होगा कि कौन सी जानकारी के सामने आने से अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी। आयुक्त सिंह ने इस तथ्य को भी देखा कि जब आरटीआई आवेदन किया था तो इन सभी 6 एफआइआर को दर्ज हुए डेढ़ महीने का समय हो चुका था ऐसे में एफआइआर की जानकारी देने से कौन सी जांच प्रभावित होगी यह जांच का विषय है।

यह है मामला -

बालाघाट की लीला बघेल ने थाना लालबर्रा में दर्ज एफआइआर की जानकारी 13 दिसम्बर 2021 को मांगी थी। थाने के टीआई अमित भावसार ने एफआईआर की कुल संख्या 6 की जानकारी दी लेकिन बाकी रोक ली। लीला बघेल ने जानकारी लेने के लिए बालाघाट एसपी के यहां प्रथम अपील दायर की तो उन्होंने भी मना कर दिया। साथ ही तर्क दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (जे ) के तहत व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जा सकती है और धारा 8 (1) (एच) के तहत जांच या अभियोजन प्रभावित होने से जानकारी नहीं दी जा सकती है। जानकारी नहीं मिलने पर लीला बघेल ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की और यह शिकायत कि टी आई और एसपी ने गलत आधार बनाकर एफआईआर की जानकारी से इंकार किया है। लीला बघेल ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए यह कहा कि उन्होंने अन्य थानों से भी एफआईआर की जानकारी मांगी थी और उन्हें उक्त थानों से जानकारी दे दी गई, ऐसे में स्पष्ट है की जानकारी आरटीआई के तहत दी जा सकती है।

दस्तावेजों की जांच शुरू -

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया है कि एफ आई आर सीआरपीसीसी की धारा 154 के तहत पब्लिक दस्तावेज है और एविडेंस एक्ट 1872 की धारा 74 के तहत भी इसे पब्लिक दस्तावेज माना गया है। मामले में पुलिस के उपर एफआइआर की जानकारी को गलत ढंग से रोकने के आरोप के चलते आयोग द्वारा सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी गई है। आयोग ने यह भी माना कि एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन होने से भी पब्लिक की पहुंच में है।