शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक सुरेश राठखेड़ा ने हाल ही में एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी को नहीं छोड़ रहे हैं। अगर वो पार्टी छोड़ते हैं को किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे बल्कि सिंधिया वो शख्सियत हैं जो मध्यप्रदेश में नई पार्टी बना सकते हैं। विधायक ने कहा- मेरी लिए पार्टी सर्वोपरी है, लेकिन अगर महाराज नई पार्टी बनाते हैं तो मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा और महाराज की पार्टी में जाऊंगा।
कांग्रेस विधायक का यह बयान कांग्रेस खेमे में ही मुश्किलें बढ़ा रहा है। मध्यप्रदेश में सिंधिया खेमे के करीब 20 विधायक हैं और मध्यप्रदेश में विधानसभा की जो स्थिति हैं उमें कांग्रेस के 115 विधायक हैं जबकि भाजपा के 108 विधायक हैं। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार निर्दलीय, सपा और बसपा के समर्थन से चल रही है। ऐसे में अगर सिंधिया नई पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस की कमल नाथ सरकार मुश्किलों में घिर सकती है और कांग्रेस की सरकार अस्थिर हो सकती है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं। मध्यप्रदेश की कमल नाथ सरकार के खिलाफ को कई मुद्दों पर बोल चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस की सियासत गर्म है। कांग्रेस आला कमान अभी तक ये तय नहीं कर पाई है कि आखिर कमल नाथ की जगह किसे मध्यप्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाना है। वहीं, राज्यसभा को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं में सक्रियता बढ़ गई है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा- आश्वस्त करना चाहता हूं की किसी भी तरह कि विद्रोह की परिकल्पना निराधार है। ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र में कांग्रेस की वापसी के शिल्पकारों में एक हैं। उनकी लोकप्रियता प्रदेश के साथ संपूर्ण देश में है। कमलनाथ जी और उनके बीच में प्रगाढ़ता है। सिंधिया जी से मेरी बात हुई और शीघ्र भेंट होगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सोशल मीडिया में स्टेटस बदले पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा-ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसा क्यों किया मुझे इसकी जानकारी नहीं है। सिंधिया अभी कांग्रेस महासचिव हैं और कांग्रेस के बड़े नेता हैं। मैंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लंबे समय तक काम किया है। वहीं, उनके पिता माधवराव सिंधिया के साथ भी काम किया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी पर टिप्पणी करते हुए बाला बच्चन ने कहा- कांग्रेस में किस नेता को कौन सा पद देना है इसका फैसला पार्टी हाई कमान करता है। लेकिन जो जिस कद का नेता होता है उसे उसी तरह की जिम्मेदारी दी जाती है।