
डुमरियागंज संसदीय सीटः अपना दल (एस) की मजबूत दावेदारी के पीछे भाजपा में वर्चस्व की जंग तो नहीं!
अरुण तिवारी, भोपाल. इस बार लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश के लिहाज से दिलचस्प कहा जा सकता है। चुनाव के बाद प्रदेश के छह दिग्गज नेता लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। इनमें नौ बार सांसद रहे कांग्रेस के कमलनाथ और आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन भी शामिल हैं। इससे कमलनाथ, अटल बिहारी वाजपेयी और सोमनाथ चटर्जी के क्लब में शामिल नहीं हो पाए तो सुमित्रा महाजन, जार्ज फर्नांडिस और माधवराव सिंधिया की बराबरी करने से रह गईं। इनके अलावा सुषमा स्वराज और उमा भारती भी लोकसभा में दिखाई नहीं देंगी। वहीं, प्रदेश से करीब 12 नेता पहली बार संसद की सीढिय़ां चढेंग़े।
- लोकसभा में नजर नहीं आएंगे ये चेहरे
कमलनाथ : प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। कमलनाथ पहली बार 1980 में नौंवी लोकसभा के सदस्य बने थे। वे नौ बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए। बीच का कुछ समय छोड़ दें तो वे पिछले 38 सालों से संसद का चेहरा रहे हैं। वे एक बार भाजपा के सुंदरलाल पटवा से चुनाव हारे थे। वे इस बार लोकसभा नहीं जाएंगे। कमलनाथ दसवीं बार लोकसभा सदस्य वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी और कांग्रेस नेता पीएम सईद के क्लब में शामिल नहीं हो पाए।
सुमित्रा महाजन : इंदौर से लगातार आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष भी बनीं। वे 30 साल से लगातार संसद की सदस्य रही हैं। 1989 में पहली बार सांसद चुनी गईं तब से लेकर अब तक संसद का चेहरा बनी रहीं। इस बार उन्होंने भाजपा संगठन को चि_ी लिखकर चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया। महाजन पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, जॉर्ज फर्नांडिस और कांग्रेस नेता गिरधर गमांग की बराबरी नहीं कर पाईं। ये नेता नौ बार सांसद रहे हैं।
सुषमा स्वराज : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लगातार दस साल विदिशा सांसद रही हैं। सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही हैं। इस बार वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहीं। सुषमा की जानकारी और भाषण शैली ने उनको अच्छे वक्ता के रूप स्थापित किया है। मध्यप्रदेश की सांसद के रूप में वे ऐसी पहली महिला हैं जो विदेश मंत्री की कुर्सी तक पहुंची हैं।
उमा भारती : भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं। उमा भारती प्रदेश की धाकड़ नेताओं में शुमार हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने दिग्विजय शासनकाल को उखाड़कर प्रदेश में सत्ता हासिल की थी। वे 2014 में उत्तर प्रदेश के झांसी से सांसद चुनी गईं, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया। वे अगले पांच साल गंगा के लिए काम करेंगी।
अनूप मिश्रा : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा का भी टिकट कट गया है। पिछली बार वे मुरैना से सांसद थे। इस बार उनकी जगह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे हैं। अटल के निधन के बाद भाजपा ने पूरे देश में खासतौर पर मध्यप्रदेश में खूब सहानुभूति बंटोरी। जनता के बीच उनके अस्थि कलश भेजे गए, लेकिन चुनाव में पार्टी ने उनके भांजे अनूप मिश्रा का टिकट काट दिया।
ज्ञान सिंह : शहडोल सांसद ज्ञान सिंह भी अब भाजपा की चुनावी राजनीति से बाहर हो गए हैं। ज्ञान सिंह सरल, लेकिन भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरे माने जाते रहे हैं। भाजपा ने उनको किनारे कर कांग्रेस से आईं हिमाद्री सिंह को टिकट दे दिया। ज्ञान सिंह दुखी हुए और नाराज भी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
* ये लोकसभा में सबसे ज्यादा समय रहे
- 11 बार सांसद
इंद्रजीत गुप्ता : सीपीआइ नेता इंद्रजीत गुप्ता 11 बार लोकसभा सांसद रहे। वे पश्चिम बंगाल से आते थे।
- 10 बार सांसद
अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा
सोमनाथ चटर्जी, सीपीआइ-एम
पीएम सईद - कांग्रेस
- 9 बार सांसद
माधवराव सिंधिया, कांग्रेस
जॉर्ज फर्नांडिस, जेडीयू
गिरधर गमांग, कांग्रेस
- इनमें से 12 पहली बार नेता जाएंगे लोकसभा
सीट भाजपा कांग्रेस
ग्वालियर विवेक शेजवलकर अशोक सिंह
भिंड संध्या राय देवाशीष जरारिया
सागर राजबहादुर सिंह प्रभु सिंह ठाकुर
खजुराहो वीडी शर्मा कविता सिंह
शहडोल हिमाद्री सिंह प्रमिला सिंह
बालाघाट ढाल सिंह बिसेन मधु भगत
छिंदवाड़ा नत्थनशाह कवरेती नकुलनाथ
विदिशा रमाकांत भार्गव शैलेंद्र पटेल
देवास महेंद्र सोलंकी प्रहलाद टिपणिया
उज्जैन अनिल फिरोजिया बाबूलाल मालवीय
खरगौन गजेंद्र पटेल डॉ. गोविंद मुजाल्दे
बैतूल दुर्गादास उइके रामू टेकाम
Published on:
19 Apr 2019 05:18 am
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