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क्या कांग्रेस का ‘लक्ष्मण’ बनेगा भाजपा का ‘विभीषण’, ‘भाई’ ने ‘सरकार’ को किया बेचैन

कमल नाथ सरकार के खिलाफ कई बार हमला बोल चुके हैं लक्ष्मण।

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भोपाल

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Pawan Tiwari

Oct 23, 2019

क्या कांग्रेस का 'लक्ष्मण' बनेगा भाजपा का 'विभीषण', 'भाई' ने 'सरकार' को किया बेचैन

क्या कांग्रेस का 'लक्ष्मण' बनेगा भाजपा का 'विभीषण', 'भाई' ने 'सरकार' को किया बेचैन

भोपाल. मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने बुधवार को अचानक पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। शिवराज और लक्ष्मण सिंह की इस मुलाकात के बाद मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर से अटकलों का दौर शुरू हो गया है। लक्ष्मण सिंह ने शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात तब की जब वो अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन पहले दिग्विजय सिंह के बंगले के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं। हालांकि ये पहला मौका नहीं था जब लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ हमला बोला हो, इससे पहले भी वो अपनी पार्टी पर खुला हमला बोल चुके हैं और नेतृत्व पर भी सवाल उठा चुके हैं।

क्या पार्टी में हो रही है उपेक्षा
लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के बड़े नेता हैं, लेकिन उनके पास पार्टी की कोई अहम जिम्मेदारी नहीं है। 15 सालों बाद 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। सरकार बनने के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ नेताओं को मौका मिलेगा लेकिन लक्ष्मण सिंह को कमल नाथ मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। जबकि दो बार के विधायक जयवर्धन सिंह को प्रदेश का मंत्री बना दिया गया। मंत्रिमंडल के चयन को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि कांग्रेस में मंत्रिमंडल का चयन पांच सितारा होटलों में बैठकर चंद लोग करते हैं।


पांच बार सांसद रह हैं लक्ष्मण सिंह
दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह, राजगढ़ संसदीय सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। 1994 में राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने थे उसके बाद लक्ष्मण सिंह 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2004 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुई थे। 2009 का चुनाव भाजपा के टिकट पर हराने के बाद वो दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा नेताओं से उनके अच्छे संबंध बताए जाते हैं।

तबादलों में बिजी हैं मंत्री
लक्ष्मण सिंह ने कमलनाथ सरकार पर हमला करते हुए कहा था- दुर्भाग्यवश जो हमारे मंत्री हैं वह यह तबादले व्यस्त हैं। उनकी धारणा है कि मेरा अफसर होना चाहिए या हमारी पार्टी से संबंधित अफसर होना चाहिए, लेकिन अफसर की क्या निष्ठा है, क्या सोच है यह उसका निजी मामला है। आपकी सरकार बदलने से वो विचारधारा नहीं बदलेगा, लेकिन हां शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन उसके द्वारा होना चाहिए, अगर वह करता है तो ठीक है तो उसकी निष्ठा कहीं भी हो उससे हमें मतलब नहीं होना चाहिए। अगर हमारी योजना को वो नीचे तक ले जा रहा है तो वो बहुत अच्छा अधिकारी है।

दिग्विजय के कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर जताई थी आपत्ति
लक्ष्मण सिंह ने दिग्विजय सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए।

बदलना होगा काम का तरीका
लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था- इलाका किसी का नहीं होता है इलाका तो जनता का होता है हमारा क्या है, और क्षत्रपों का नतीजा हमारे सामने है, न ग्वालियर चंबल में आए, न सिंधिया जी जीते, न भाई साहब ( दिग्विजय सिंह ) जीत पाए, कोई नहीं जीत पाया क्योंकि ये क्षत्रप का समय नहीं है, आप कार्यकर्ताओं की भावनाओं से अवगत होइए उनसे मिलिए उनसे पूछिए और फैसला उन पर छोड़ दीजिए और आगे आपको आपके काम करने की शैली बदल नहीं पड़ेगी तभी जाकर कुछ अच्छे नतीजा आएंगे।

राहुल गांधी को मांगनी चाहिए माफी
किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा था कि- 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ करने के बयान पर राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है।

भाजपा के लिए संजीवनी क्यों?
बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह, पार्टी में हो रही उपेक्षा के कारण नाराज हैं। मध्यप्रदेश में 2018 के विधान सभा चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस को सबसे ज्यादा 114 सीटों पर जीत मिली। मध्यप्रदेश में इस वक्त कमल नाथ की सरकार निर्दलीय, बसपा और सपा के समर्थन से चल रही है। वहीं, भाजपा के 108 विधायक हैं जबकि झाबुआ उपचुनाव के अभी परिणाम आना बाकि हैं।