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डॉक्टरों के सामने ‘बेबस’ मंत्री, बोलीं- मेरी नहीं सुनते सीएस, सीएम से मिलवना भी मेरे हाथ से बाहर

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ से जब प्रदेश के चिकित्सक उनसे मदद के लिए मिलने पहुंचे तो लाचार दिखीं और किसी तरह की मदद से अपनी बेबसी जाहिर कर इनकार कर दिया।

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Medical education minister Dr. Vijayalaxmi Sadho

डॉक्टरों के सामने 'बेबस' मंत्री, बोलीं- मेरी नहीं सुनते सीएस, सीएम से मिलवना भी मेरे हाथ से बाहर

भोपाल. मध्यप्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ( Medical education minister Dr. Vijayalaxmi Sadho ) भोपाल में डॉक्टरों के सामने लाचार दिखीं। जब डॉक्टरों ( doctor's seventh pay ) ने उनसे मुलाकात कर अपनी मांगों से अवगत कराया तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने उनके सामने अपनी बेबसी जाहिर ( Kamal Nath's helpless minister ) की। इसके साथ ही वह डॉक्टरों से बोलीं कि सीएम कमलनाथ ( Kamal Nath ) से मिलवाना भी मेरे हाथ से बाहर है।

दरअसल, कांग्रेस ( Congress ) सरकार के वचनपत्र में डॉक्टरों को सातवां वेतनमान देने की घोषणा की गई थी, लेकिन सीएम के आश्वासन के चार माह बाद भी मांग पूरी नहीं हुई है। चिकित्सकों का दल प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ से मिलने पहुंचा, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि प्रमुख सचिव आरएस मोहंती मेरी नहीं सुनते, आपको सीएम कमलनाथ से मिलवाना भी मेरे हाथ में नहीं है।

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भड़क गए डॉक्टर
मंत्री की बात सुन भड़के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की तर्ज पर प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं ठप्प करने की रणनीति बनाई है। मेडिकल टीचर्स ऐसोसिएशन ने फिलहाल आंदोलन 15 से 17 जुलाई के बीच करने की रणनीति बनाई है। इसमें कॉलेज फैकल्टी के साथ जूनियर डॉक्टर, यूजी छात्र, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और टेक्निकल स्टॉफ को भी हड़ताल में शामिल करने की कोशिश की है।

ब्यूरोक्रेसी है हावी
मध्यप्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. रोकड़े के अनुसार प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी सरकार पर कितनी हावी है, इसका नमूना मंत्री साधौ से मुलाकात में हो गया। कांग्रेस सरकार आने पर सीएम कमलनाथ ने 120 दिन मांगे थे। अब वादा भूला कर सरकार ने आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। मरीजों की परेशानी की जिम्मेदार सरकार और अफसरशाही रहेगी।

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यहां फंसा है पेंच
प्रदेश के 56 विभागों के साढ़े चार लाख कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिल चुका है। प्रदेश के 13 शासकीय और स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के 3000 प्रोफेसर्स ही इससे वंचित हैं, जबकि कॉलेज कर्मचारियों को इसका लाभ दिया गया है। सरकार का है कि वह डॉक्टर्स ऑटोनोमस सोसायटी के अधीन आते हैं। दबाव बढ़ने पर तत्कालीन एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने निजी प्रैक्टिस पर रोक, शाम की ओपीडी, आयुष्मान योजना में इलाज कर पैसा देने जैसी शर्तें रख दी।

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किसी और मंत्री से लें मदद
मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर लंबे समय से सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं, प्रदेश के लगभग सभी शासकीय कर्मियों को इसका लाभ मिल चुका है। बुधवार को मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी मंत्री साधौ से चर्चा करने के लिए भोपाल पहुंचे। साधौ ने साफ कहा कि सरकार में मेरी कोई सुनवाई नहीं होती है। मैं आपकी समस्या समझती हूं, लेकिन कोई मदद नहीं कर सकती। मेरी बजाए अन्य मंत्री या विधायक की मदद लें। सीएम हाउस से डॉक्टरों को मिलने का समय नहीं मिला तो वो निराश होकर लौट आए। पत्रिका ने इस संबंध में मंत्री साधौ से बात करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल बंद मिला।