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टीम कमलनाथ के मंत्री तुलसीराम सिलावट दोषमुक्त, इधर अब 6 साल में पूरी करनी होगी आयुर्वेद में पीजी

साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त...

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टीम कमलनाथ के मंत्री तुलसीराम सिलावट दोषमुक्त, इधर अब 6 साल में पूरी करनी होगी आयुर्वेद में पीजी

भोपाल। मध्यप्रदेश में नई बनी कमलनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए तुलसीराम सिलावट को इन्दौर कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन के एक मामले में अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। राजनीतिक मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेश सिंह ने यह फैसला सुनाया है।

इन्दौर कलेक्ट्रेट कार्यालय के मुख्य गेट पर 7 दिसंबर 2015 को तुलसीराम सिलावट और उनके समर्थकों ने धरना दिया था। इस मामले में बुधवार को सिलावट के मुल्जिम बयान दर्ज होना थे।

मुल्जिम बयान के लिए तुलसीराम सिलावट अदालत पहुंचे। मुल्जिम बयान के बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए। सिलावट को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। अदालत के अनुसार अभियोजन सिलावट के खिलाफ मुकदमा प्रमाणित नहीं कर सका।

इधर, सीसीआइएम ने जारी किए ये निर्देश...
वहीं एक अन्य मामले में अगर यदि आयुर्वेद में पीजी करना चाहते हैं तो अब आपको इसके लिए सिर्फ छह साल का ही समय मिलेगा। बार-बार फेल होने वाले छात्र एमडी या एमएस नहीं कर पाएंगे।

दरअसल सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने यह निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के मुताबिक 3 साल का एमडी या एमएस आयुर्वेद कोर्स को पूरा करने छात्रों को सिर्फ 6 साल का समय मिलेगा। जो छात्र 6 साल में डिग्री पूरी नहीं कर सकेंगे उन्हें दूसरी बार मौका नहीं मिलेगा।

एमसीआई भी मेडिकल के एमडी और एमएस कोर्स में 6 साल की समय सीमा तय कर चुका है। दरअसल इन कोर्स में फेल होने पर मेडिकल कॉलेजों का भार बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार जो छात्र फेल होते हैं उनके लिए अलग से क्लासेस लगाई जाती हैं।

आयुर्वेद पीजी की अधिकतम समय सीमा 6 वर्ष निर्धारित करने का फैसला अच्छा है। इससे छात्र अपनी डिग्री के प्रति और गंभीर होंगे। इसके साथ ही सरकार को प्रदेश में पीजी की सीटें बढ़ाने के विषय में भी कदम उठाना चाहिए ।
- डॉ. राकेश पांडे, प्रेसिडेंट आयुर्वेदिक पीजी एसोसिएशन

कहां कितनी सीटें...
जानकारी के मुताबिक राजधानी भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में पीजी की 46 सीटें हैं इसी तरह रीवा में 5 सीट ग्वालियर में 4 उज्जैन में नौ सीटों सहित प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस की 95 सीटें हैं।


नगद पुरस्कार योजना: वहीं दूसरी ओर मेधावी छात्र-छात्राओं को नगद पुरस्कार योजना-प्रोत्साहन योजना को समेकित छात्रवृत्ति योजना से अलग किया जाएगा। मप्र भवन एवं संनिमाण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा यह योजना चलाई जा रही थी, लेकिन 2018-19 में दी जाने वाले छात्रवृत्तियां-नकद प्रोत्साहन को संबल योजना से जोड़ दिया गया है।

अब स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे समेकित छात्रवृत्ति योजना से अलग कर दिया। कर्मकार मंडल का तर्क है कि मंडल द्वारा चलाई जा रही योजना के हितग्राही बच्चों के लिए मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना चालू की गई है।

अब शिक्षा सत्र 2018-19 से यह योजना समेकित छात्रवृत्ति योजना से अलग रहेगी। गौरतलब है कि सभी योजनाओं को पहले एक किया गया था, ताकि छात्रवृत्ति में कोई धांधली न हो पाए। लेकिन अब फिर से इसे अलग किया जा रहा है। हालांकि मंडल का तर्क है कि वह अब किसी तरह की प्रोत्साहन राशि आदि नहीं देगी। इसलिए धांधली की आशंका नहीं है।

5 लाख बच्चे जुड़े हैं...
भोपाल में संबल योजना के पांच लाख सात हजार से अधिक सदस्यों का पंजीयन है। वहीं प्रदेशभर में दो करोड़ 20 लाख 81 हजार से ज्यादा लोगों का पंजीयन है, जिनके 5673 बच्चों कॉलेज स्तर की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन योजना का लाभ दिया गया है।