इसके बाद यूपी सरकार ने 780 एमपीसएम पानी डिमांड की और बाद में अब ९00 एमसीएम पानी की डिमांड भेज दिया है। इस मामले को लेकर राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (एनडब्ल्यूडीए) के अधिकारी अगले हफ्ते भोपाल आ रहे हैं, जिसमें यूपी-एमपी के अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
इस परियोजना में केन्द्र सरकार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध होना है। पानी पर समझौता और अनुबंध न होने से इस परियोजना की लागत 9 हजार करोड़ से बढ़कर 22 हजार करोड़ से अधिक हो गई है। मंगलवार को इस मामले में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात भी की थी।
दरअसल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच पानी के बंटवारे को लेकर पिछले एक साल से सहमति नहीं बन पा रही है। इधर, उत्तर प्रदेश लगातार पानी की डिमांड बढ़ाता जा रहा है।
मप्र सरकार का कहना है कि इस परियोजना में सौ प्रतिशत जमीन और जंगल मध्य प्रदेश का डूब रहा है। इसलिए अगर पूरा पानी उत्तर प्रदेश ले जाएगा तो इससे प्रदेश के किसानों को कोई फायदा नहीं मिलेगा।
मप्र में साढ़े 4 लाख हेक्टेयर बढ़ेगा सिंचाई का रकबा मध्य प्रेदश में साढ़े चार लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई का रकबा बढ़ेगा। जबकि उत्तर प्रदेश में करीब ढाई लाख हेक्टेयर सिंचाई का अनुमान है। दोनों राज्यों के तीन से चार जिलों को सूखे और पानी की किल्लत से निजात मिलेगा।
परियोजना के मुताबिक यूपी के बांदा और एमपी के छतरपुर जिले की सीमा पर बोधन गांव के निकट गंगोई बांध से केन नदी को तीस मीटर चौड़ी कांक्रीट नहर बनाकर आगे ले जाना है। धसान नदी पर एक टनल बनाकर आगे बढ़ाया जाएगा।
छतरपुर के हरपालपुर से होकर यूपी के मऊरानीपुर बॉर्डर से एमपी के जतारा तहसील के गांवों से होकर नहर को बरुआसागर बांध के ऊपर से होते हुए ओरछा के निचले हिस्से में स्थित नदी (नोटघाट पुल) में मिला दिया जाएगा।
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उत्तर प्रदेश को पानी 780 एमसीएम पानी देने है। उनकी तरफ क्या डिमांड आई है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मैं अगले हफ्ते खुद मध्य प्रदेश आ रहा हूं। दोनों राज्यों के अधिकारियों से इस परियोजना की देरी होने के संबंध में बात करूंगा।
आरके जैन, मुख्य अभियंता एमडब्ल्यूडीए
————– एमओयू में देरी उत्तर प्रदेश सरकार की तरह से हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पानी की डिमांग हर बार बढ़ती चली जा रही है। शुरूआत में 700 एमसीएम पानी देने के बाद हुई थी, उतना ही पानी उत्तर प्रदेश को दिया जाएगा।
राजीव सुकलीकर, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग