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भरतनाट्यम नृत्य रूप में दिखाए कृष्ण-यमुना के संवाद

उत्तराधिकार में उपशास्त्रीय गायन व भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुतियां

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भरतनाट्यम नृत्य रूप में दिखाए कृष्ण-यमुना के संवाद

भोपाल। मप्र जनजातीय संग्रहालय में उत्तराधिकार शृंखला के तहत रविवार को उपशास्त्रीय गायन और भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुतियां संग्रहालय सभागार में हुईं। कार्यक्रम के दौरान अनुराधा वेंकटरमन ने अपने साथी कलाकारों के साथ यमुना और कृष्ण केंद्रित कथाओं पर 'भरतनाट्यम नृत्य' प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय कौशल से यमुना और भगवान कृष्ण को मंच पर प्रस्तुत किया।

इस कथा में यमुना, कृष्ण को बताती हैं कि राधा के जाने के बाद उन्हीं ने कृष्ण को सांत्वना दी थी और जब कृष्ण गोपियों के वस्त्र ले लेते हैं, इसके बाद गोपियां कृष्ण से नाराज हो जाती हैं, तब भी यमुना गोपियों को मनाती हैं। यमुना कृष्ण से कहती हैं देखो कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद आज न तो कौरव और न ही पांडव तुम्हारे साथ हैं लेकिन मैं हमेशा की तरह तुम्हारे साथ ही हूँ और रहूंगी भी। यमुना कृष्ण को बताती हैं कि जब उन्होंने कंस का वध किया था तब उन्हीं ने सभी जगह उनकी कीर्ति पहुंचायी थी। इस कथा को और कृष्ण-यमुना के संवाद को नृत्य रूप में देखना दर्शकों के लिए नया अनुभव था। नृत्य प्रस्तुति के दौरान अनुराधा वेंकटरमन का साथ मंच पर राधिका रामानुजन और रामा वेणुगोपालन ने दिया।

राग मिश्र खमाज में सुनाया मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...

वहीं उपशास्त्रीय गायन की शुरुआत पंडित श्रीराम मराठे ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग यमन कल्याण में विलम्बित ख्याल और एक ताल में 'मोरा मन बांध लीनो इन जोगीय के साथ' प्रस्तुत कर किया।

इसके बाद छोटा ख्याल में 'मन तू काहे न धीर धरत अब' प्रस्तुत किया। फिर संत तुलसीदास की रचना 'धीर धरे सब कारज सुधरत' और राम मारु बिहाग में पंडित नारायण राव गुणे की रचना 'कहु के मन को लुभावन जात है' प्रस्तुत किया।

अंत में मिश्र खमाज में ठुमरी 'अकेली दर लागे' और राग मिश्र खमाज में संत सूरदास की रचना 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो' सुनाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। इस प्रस्तुति में पंडित मराठे का साथ गायन में विजय, अंजलि और पूर्वी सप्रे ने दिया और संगतकारों में तबले पर इकरार हुसैन ने, सारंगी पर शाहरुख हुसैन ने और हारमोनियम पर विवेक तिवारी ने संगत की।