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कवि कुमार विश्वास ने चित-परिचित अंदाज में नेताओं पर किया कटाक्ष, जानिए क्या कहा…

महादेव महोत्सव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, कुमार विश्वास हुए शामिल

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भोजपुर में आयोजित महादेव महोत्सव के अंतिम दिन गुरुवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ।

भोपाल। भोजपुर में आयोजित महादेव महोत्सव के अंतिम दिन गुरुवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ। इसमें डॉ. कुमार विश्वास, मदन मोहन समर, भोपाल, शंभू शिखर, नोएडा, कवयित्री शिखा दीप्ति, नोएडा, संदीप शर्मा, धार ने कविता पाठ किया। कवि डॉ. विश्वास ने मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं, उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं, हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना, वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं... रचना अपने चित-परिचित अंजाम में पेश की। इसके बाद उन्होंने किसी के दिल की मायूसी जहां से हो के गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पे खो के गुजरी है तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क इतना है तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है... कविता सुनाई।

मैं मुकम्मल किसी को मिला ही नहीं...
डॉ. विश्वास मैं मुकम्मल किसी को मिला ही नहीं, मुझको दुनिया ने पाया तुम्हारे बिना, विष पियूंगा भी कैसे तुम्हारे बिना, दिल सियूंगा भी कैसे तुम्हारे बिना, डोली चढ़ते हुए ये भी सोचा नहीं, मैं जीऊंगा भी कैसा तुम्हारे बिना... कविता पेश की तो पत्नी पर कविता सुनाते हुए खुद को सब के मुताबिक ढाले है तू, तीन पागल दीवानों को पाले है तू, मेरे आंगन के कलियों को पाले है तू... रचना सुनाई। उन्होंने संस्कृति विभाग पर कटाक्ष करते हुए कहा कि माइक की व्यवस्था पर मेरा ऑब्जेक्शन है। इसकी एक फ्रीक्वेंसी होती है कि कैसे आवाज दूर तक जाएगी और कैसे मंच पर आएगी, हो सकता है टेंडर में कुछ हुआ हो...। हमने तो उनके बंद करवाएं जिनकी दस साल सरकार थी केंद्र में, अगली बार से कोई समस्या हो तो हमें पैसे न दे, लेकिन आवाज तो ठीक कराएं।

हास्य और देशभक्ति की कविताएं पेश कीं
कवि शंभू शिखर ने हास्य कविता हम आने वाली नस्लों की आंखे न फोड़ दें, धरती रहे प्रसन्न ये वादा न तोड़ दें, मन में अगर बची हो थोड़ी लाज-शर्म तो जैसी मिली थी कम से कम वैसी तो छोड़ दें... सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही पाई। वहीं, कवि शिखा दीप्ति ने रोज मिलना मिलाना जरूरी नहीं, इश्क जग को जताना जरूरी नहीं... सुनाकर प्रेम का वर्णन किया। अगली कड़ी में संदीप शर्मा ने शिव पर अपनी रचना पी सके जो विष जगत के हित वही सर्वेश शिव है, आपके अंत्स का और बाहर का सब परिवेश शिव है... और मदन मोहन समर ने यह वक्त बहुत ही नाजुक है, हम पर हमले दर हमले हैं, दुश्मन का दर्द यही तो है, हम हर हमले पर संभलें हैं, सैनिक सीमा साधे रहना हम भीतर देश बचाएंगे, तुम कसम निभाना सरहद की, हम अपना वचन निभाएंगे... रचना सुनाई।