
कूनो नेशनल पार्क में पिछले चार माह से चीते बाड़े में कैद हैं। रेडियो कॉलर से इंफेक्शन के बाद लगातार दो चीतों की मौत के बाद इन्हें जुलाई में बाड़े में बंद कर दिया गया था, लेकिन अब तक इन्हें खुले जंगल में नहीं छोड़ा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोजेक्ट चीता की अवधारणा में ही इन्हें खुले जंगल में रखने की योजना थी, लगातार इन्हें बाड़े में रखने से इनकी शिकार क्षमता पर भी प्रभाव पड़ेगा, साथ ही इनका स्ट्रेस लेवल भी बढ़ेगा।
कूनो में प्रति किलोमीटर सिर्फ 18 चीतल ही मौजूद
जैसे ही ये चीते बाड़े से खुले जंगल मे आएंगे, इनके सामने भोजन का भी संकट होगा। पार्क में प्रति वर्ग किलोमीटर सिर्फ 18 चीतल ही हैं। 2021 में यह संख्या प्रति वर्ग किलोमीटर 23 थी। 2013 में चीतलों का घनत्व 61 चीतल प्रति वर्ग किमी था। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रति वर्ग किलोमीटर कम से कम से 27 चीतल होना चाहिए। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भी इसे लेकर चिंता जता चुका है। जंगल में जंगली सूअर मौजूद है, लेकिन चीता इतना ताकतवर नहीं कि उसका शिकार कर सके। ऐसे में वो भोजन के लिए चीतल पर निर्भर हैं।
स्टीयरिंग कमेटी की बैठक नहीं हुई
चीता स्टीयरिंग कमेटी की पिछली बैठक में भी इन्हें छोड़ने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका था। मेटिंग के दौरान एक चीते की मौत के बाद अधिकारी इसे लेकर भी ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं। आशा और पवन की मेटिंग के बाद, नर चीता अग्नि, वायु और मादा चीता दक्षा को बाड़े में छोड़ा गया था। मेटिंग के दौरान लड़ाई में दक्षा की मौत हो गई थी। अधिकारियों का कहना है कि अभी चीतों को पास-पास बाड़े में रखा गया है, लेकिन स्पष्ट मेटिंग कॉल ना होने से मेटिंग को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया। विशेषज्ञों की देखरेख में ही ये काम होगा।
लगातार बाड़े में रखने से बढ़ेगा स्ट्रेस
पूर्व पीसीसीएफ वन्य प्राणी जेएस चौहान का कहना है कि चीतों को लगातार बाड़े में रखने से उनका स्ट्रेस बढ़ेगा। चीते एक दिन में 50 से 100 किलोमीटर तक का सफर तय कर लेते हैं, अभी वे 150 हेक्टेयर तक के बाड़े में हैं। ये बाड़े बड़े जरूर हैं, लेकिन चीतों को इनमें लंबे समय तक रखने से नुकसान ही होगा। मेटिंग की भी कोशिश जल्द ही होना चाहिए। गौरतलब है कि अधिकारियों ने बारिश के बाद अक्टूबर में इन्हें जंगल में छोड़ने की बात कही थी। दो बाद भी इसे लेकर निर्णय नहीं हो सका है।
6 व्यस्क चीते और तीन शावक की हो चुकी है मौत
कूनो में पिछले साल साउथ अफ्रीका और नामाबिया से 20 चीते लाए गए थे। इनमें से 14 वयस्क चीते ही जीवित बचे हैं। इनमें से 6 चीतों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक मादा चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया था। जिसमें से तीन शावकों की मौत हो चुकी हैं।
अफसरों ने कहा, जल्द जंगल में छोड़ेंगे
चीता स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने बताया कि चीता स्टीयरिंग कमेटी की बैठक अगले माह होगी, उसमें इसमें इन्हें छोड़ने को लेकर निर्णय लिया जाएगा। पीसीसीएफ, वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव का कहना है कि, सभी चीते बड़े बाड़े में बिल्कुल स्वस्थ है। 50 से 150 हेक्टेयर के बाड़े में खुद ही शिकार कर खाते हैं। चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का निर्णय स्टीयरिंग कमेटी को लेना है। बैठक की तारीख अभी हमें नहीं मिली है।
Published on:
27 Nov 2023 09:35 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
