
भोपाल। रेलवे में असफरशाही और वीआईपी कल्चर को कम करने में लगे रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्विनी लोहानी के साथ भी पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारी छल करने से पीछे नहीं हट रहे। मध्य पश्चिम रेलवे में अधिकारियों द्वारा अपनी सुविधा के लिए रखे गए सैलून बोर्ड ने वापस क्या मांगे अफसरों ने यहां पर भी चालाकी दिखा दी।
बोर्ड ने 14 अक्टूबर को जोन से चार सैलून वापस बुलाने के आदेश जारी किए थे, लेकिन केवल एक सैलून को वापस भेजा है, तीन सैलून को सिक बताकर रोक लिया गया। मजे की बात यह है कि जिन सैलून को अधिकारियों ने सिक बताकर रोका है, उसमें से एक को हाल ही में सीसीएम भोपाल लेकर आए थे। बता दे कि चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने सभी जोन के जीएम को आदेश दिया हैं कि अब जोन में सिर्फ दो सैलून होंगे।
अफसर जरूरी काम से आने पर ही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे, जबकि अन्य सैलूनों को तोड़ दिया जाएगा। इसके साथ ही यदि अफसर दौरे पर जा रहे हैं तो उन्हें ट्रेन के एसी और स्लीपर कोच में सफर करना होगा। इस दौरान यात्रियों से रेल सेवा को लेकर फीड बैक भी लेना होगा।
जोन में हैं 16 सैलून :
जानकारी के मुताबिक पश्चिम मध्य रेलवे जोन में कुल 16 सैलून हैं, जिसमें दो भोपाल रेल मंडल और दो सैलून कोटा डिवीजन में हैं। जबकि 12 सैलून जबलपुर में हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार अफसर अपने परिवार के साथ ही टूर के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में जबलपुर मुख्यालय को आदेश जारी कर 4 सैलून रेलवे बोर्ड ने मंगा लिए हैं। इसके बाद भी 8 सैलून यहां बचेंगे।
पंक्चुअलिटी होती है प्रभावित, लाखों खर्च
रेलवे जानकारों के अनुसार एक सैलून को ट्रेन में जोडऩे और निकालने में कम से कम 15 मिनट का समय लगता है। जब तक ट्रेन से सैलून नहीं निकलता ट्रेन आगे नहीं बढ़ पाती। कई बार सैलून जोडऩे में देरी होने पर ट्रेन 15 से 20 मिनट तक लेट हो जाती है। रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों की पंक्चुअलिटी हर हाल में मेंटेन रखने के लिए बीते दिनों सर्कुलर भी जारी किया है। साथ ही अफसरों की जी हुजूरी के लिए तीन कर्मचारी सैलून में तैनात किए जाते हैं। पांच लाख का खर्च एक सैलून के सफर में आता है। एसी, फ्रिज, टीवी जैसी सारी सुविधाएं सैलून में ही उपलब्ध कराई जाती है।
Published on:
23 Oct 2017 10:41 am
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