विधानसभा सचिवालय ने लोधी को विधायकों की सूची से हटा दिया है। 8 नवम्बर को जारी हुई मानसून सत्र की अधिसूचना अन्य विधायकों को तो भेजी गई लेकिन सचिवालय ने इन्हें नहीं भेजी। सचिवालय इनसे कोई पत्र व्यवहार भी नहीं कर रहा है।
लोधी अपने को मानते हैं विधायक –
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भले ही उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई हो लेकिन लोधी अभी भी अपने को विधायक मान रहे हैं। लोधी का तर्क है कि विधानसभा अध्यक्ष ने विशेष न्यायालय के निर्णय पर सदस्यता समाप्त की थी, अब चूंकि विशेष न्यायालय के आदेश पर हाईकोर्ट ने स्थगन दे दिया है इसलिए अध्यक्ष का निर्णय अपने आप निरस्त हो जाता है।
सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर तय होगा भविष्य –
विशेष न्यायालय द्वारा लोधी को दो साल की सजा सुनाए जाने के मामले में सुप्रीमकोर्ट से स्थगन मिल गया है। इसलिए अब मामला कानूनी पेंच में उलझ गया है। राज्य सरकार इस स्थगन के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट गई है। सुप्रीमकोर्ट से आग्रह किया गया है कि जल्द से जल्द सुनवाई कर मामले का निराकरण किया जाए। यदि लोधी को सुप्रीमकोर्ट से राहत नहीं मिली उनकी विधायकी पर संशय समाप्त हो जाएगा। विधानसभा सचिवालय भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा।
मानसून सत्र में बनी रही सक्रियता –
भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की मानूसन सत्र में सक्रियता बनी रही। सदन में सवाल पूछने से लेकर अन्य चर्चाओं में शामिल होकर लोधी ने सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सदन में पूछे जाने वाले सवालों की बात करेंं तो लोधी ने पिछले सत्र में कुल 10 सवाल पूछे। इनमें अधिकांश उनकी पवई विधानसभा और गृह जिले से जुड़े सवाल थे। इन सवालों में किसान कर्ज माफी, बालिकाओं का आंगनबाउ़ी केन्द्रों में प्रशिक्षण, नल-जल योजनाओं का क्रियान्वयन, खाद्यान्न दलहन का उपार्जन एवं भण्डारण, पिछड़ा वर्ग कल्याण योजनाओं की जानकारी, पन्ना में सेटनेट निर्माण, विभागीय सेवाएं एवं आवेदनों का निराकरण इत्यादि से जुड़े सवाल प्रमुख रहे।
पेंशन से होंगे वंचित –
अब लोधी का भविष्य सुप्रीमकोर्ट पर टिका है। सुप्रीमकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर उन्हें पेंशन की भी पात्रता नहीं मिलेगी। मालूम हो विधायकों को न्यूनतम 35 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है। जैसे-जैसे उनकी वरिष्ठता बढ़ती जाती है, उनकी पेंशन भी बढ़ोत्तरी होती जाती है। चूंकि ये पहली बार के विधायक हैं, इसलिए सदस्यता समाप्त होने पर ये पूर्व विधायक भी नहीं कहलाएंगे। इसलिए पूर्व विधायक के तौर पर मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं मिलेंगीं।
– एपी सिंह, प्रमुख सचिव विधानसभा