18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आईएम सुभाष से मंच पर जीवंत किया सुभाषचंद्र बोस का जीवन

शहीद भवन में नाटक 'आईएम सुभाष' का मंचन

2 min read
Google source verification
आईएम सुभाष से मंच पर जीवंत किया सुभाषचंद्र बोस का जीवन

आईएम सुभाष से मंच पर जीवंत किया सुभाषचंद्र बोस का जीवन

भोपाल. जनयोद्धा नाट्य समारोह में रविवार को नाटक 'आईएम सुभाष' का मंचन हुआ। नाटक में दिखाया गया कि सुभाष केवल नाम नहीं है वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्राप्ति के लिए किए गए प्रयासों की समग्र इकाई थे। बोस ने जनता के बीच आजादी की चेतना जगाई। आजाद हिंद फौज और उनके कहे गए वाक्य तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा... आज भी जन-जन के हदय में पेठ बनाए हुए है। एक घंटे 20 मिनट के नाटक में 16 कलाकारों ने ऑनस्टेज परफॉर्म किया है। नाटक के लेखक दिनेश नायर और निर्देशक प्रीति झा तिवारी है। प्रीति ने बताया कि उनके जीवन में घटित हर घटना को प्रस्तुत करना तो संभव था इसलिए महत्वपूर्ण घटनाओं को लेकर उनके जीवन का रेखांकित करने का प्रयास किया गया।

डॉक्यूमेंट्री देख सुभाष के कैरेक्टर में खुद को ढाला
नाटक में बोस का किरदार रंगकर्मी हर्ष दौंड ने निभाया। उन्होंने बताया कि इस नाटक के लिए मैंने उनसे जुड़ी किताबों का अध्ययन किया। उनसे जुड़ी डॉक्यूमेंट्री देखी, उसे देख मैंने उनके हाव-भाव, बोलने के स्टाइल को कैरेक्टर में उतारा। कुछ बंगाली शब्द भी सीखे ताकि उनके किरदार को रियलिस्टिक टच दे सकूं। नाटक में एक डायलॉग है आज हमें भारत में कर्मयोगी के दर्शन को समझना होगा, ताकि हम वर्तमान समय से सांमजस्य बनाए रख सकें, हर तरफ से बंद दरवाजों के संसार में हमको नहीं रहना है... यही वो डायलॉग था जिससे मुझे बोस के देश के प्रति आजादी के जज्बे को समझने में मदद मिली और मैं अपने किरदार को निभा पाया।

आईसीएस में अंग्रेजों को पछाड़ किया था टॉप
नाटक की शुरुआत कॉलेज के दृश्य से होती है। कॉलेज के फंक्शन में एक अंग्रेज हिन्दुस्तानी को अपशब्द कहता है तो बोस उसे पीट देते हैं। उन्हें कॉलेज से निष्काषित कर दिया जाता है। इसके बाद उनके पिता उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिलाते हैं। पढ़ाई कर वे आईसीएस का एग्जाम देते हैं। इसमें अंग्रेजों को पछाड़कर टॉप करते हैं, लेकिन प्रशासनिक सेवा की नौकरी ज्वॉइन नहीं करते। वे कहते हैं कि मेरा लक्ष्य देश सेवा करना है। उनके विचारों के चलते कांग्रेस में ही विरोध भी होता है, लेकिन वे अपने इरादों पर अडिग रहते हैं। अंतिम दृश्य में प्लेन क्रैश के साथ रेडियो पर उनकी मौत का समाचार सुनाया जाता है और नाटक का अंत हो जाता है।