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लोकायुक्त के पूर्व डीजी सहित पांच आईएएस अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त ने दर्ज की एफआईआर

लीज रेंट वसूलने के बजाय सरकारी खजाने से हवाई पट्टी का करवाया रख-रखाव, यश एयरवेज को पहुंचाया लाभ  

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मकान पर छापा, २.४ किलो गांजा और एक लाख रुपए नकद जब्त

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भोपाल/ लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना ने लोकायुक्त में ही डीजीपी रहे रिटायर्ड आईपीएस अफसर अरुण गुर्टु और उज्जैन के तत्कालीन पांच कलेक्टरों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोप है कि उज्जैन में यश एयरवेज लिमिटेड को दताना-मताना हवाई पट्टी 10 वर्ष के लिए दी गई थी। लीज की शर्तों के अनुसार कंपनी को सालाना 1.50 लाख रुपए किराया देना था। लीज की शर्तों का पालन नहीं करवाने पर तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

ज्ञात हो कि यश एयरवेज लि को 2006 में उज्जैन में हवाई पट्टी लीज पर दी गई थी। कलेक्टरों को इससे लीज रेंट वसूलना था और इससे लोक निर्माण विभाग से मरम्मत करवाना थी। लेकिन लीज रेंट नहीं वसूला गया। बाद में कलेक्टर बीएम शर्मा ने सिंहस्थ-2016 को करीब देखकर शासन को मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा। शासन ने 2.66 करोड़ रुपए दे दिए, इससे मरम्मत की गई। लेकिन यश एयरवेज के काम को लेकर तत्कालीन कलेक्टरों ने भी ध्यान नहीं दिया, उलट शासन के दो करोड़ रुपए से मरम्मत कर दी गई।

इनकी भूमिका संदेह के दायरे में

साल 2006 में नियमों को नजर अंदाज करते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश साहनी की मदद से कैप्टन भरत टोंगिया एवं यशराज टोंगिया को उज्जैन हवाई पट्टी लीज पर दी गई। हवाई पट्टी मिलने के बाद पूर्व लोकायुक्त डीजीपी अरुण गुर्टू को यश एयरवेज लि. का चैयरमेन बनाया गया। उन्होंने भी लीज रेंट जमा नहीं करवाया। बीएम शर्मा, तत्कालीन कलेक्टर ने लीज रेंट वसूलने के बजाय शासन से 2.66 करोड़ रुपए से हवाई पट्टी का रख-रखाव व मरम्मत का प्रस्ताव मंजूर करवाकर काम करवाया।

वहीं, 2006 के बाद कलेक्टर रहे शिवशेखर शुक्ला, अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम गीता, बीएम शर्मा, कवींद्र कियावत ने भी इस मामले पर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी, एसएस सलूजा, एके टूटेजा, जीपी पटेल। इसके अलावा यश एयरवेज लि. कंपनी (कंपनी का नाम अब टंकार एविएशन एकेडमी कर दिया) के आठ डायरेक्टर जिनमें अरुण गुर्टू, यशपाल टोंगिया, भरत टोंगिया, शिरिष दलाल, विजेंद्र कुमार जैन, दुष्यतंलाल कपूर, शिवरमा, दिलीप रावल को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि तत्कालीन कलेक्टरों ने 2013 तक कंपनी से लीज रेंट की वसूली नहीं की।

चार साल की जांच के बाद दर्ज किया केस

2006 से 2019 की अवधि में उज्जैन में पदस्थ रहे कलेक्टरों ने यश एयरवेज से लीज रेंट नहीं वसूला। लोकायुक्त पुलिस ने इसकी करीब चार साल तक जांच की। जांच में पाया गया कि सभी अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग किया। यश एयरवेज को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के चार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया। 2.66 करोड़ रुपए से मरम्मत करवाई। जबकि जिस अवधि में सरकारी खजाने से यह काम करवाया गया, उस समय लीज की शर्तों के अनुसार यश एयरवेज को यह काम करना था। लीज की शर्तों के अनुसार निर्माण, बाउंड्री निर्माण, सालाना लीज रेंट व विमानों को ठहराने का किराया वसूलने की जवाबदारी उज्जैन कलेक्टर की थी। जिस समय यह मामला चल रहा था, उस समय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास ही विमानन विभाग था।

वर्जन

यश एयरवेज कंपनी में जो-जो डायरेक्टर रहे हैं, वे आरोपी है। लीज की शर्तों का उल्लघंन किया गया है। अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग किया है। सालाना लीज रेंट जमा नहीं हुआ। मरम्मत-रख-रखाव का काम यश एयरवेज को करना था, नहीं करने पर उससे रिकवरी की जाना थी, लेकिन नहीं हुई। जांच के बाद केस दर्ज किया गया। - अनिल कुमार, डीजी, लोकायुक्त पुलिस

2006 के बाद के पांच कलेक्टरों पर केस दर्ज किया है। रिकॉर्ड देखते हैं, क्या हुआ। जब मैं था तब कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था। काम भी नहीं हो रहा था। हवाई पट्टी खाली पड़ी हुई थी। सिहंस्थ नजदीक आ रहा था, इसलिए मैंने शासन को कहा था कि इसकी मरम्मत की जाए। शासन ने बजट मंजूर किया और मैंने काम करवा दिया। - बीएम शर्मा, तत्कालीन कलेक्टर, उज्जैन