
mp vidhan sabha
भोपाल@रिपोर्ट-जितेंद्र चौरसिया.
आपातकाल के मुद्दे पर विधानसभा में हंगामा हुआ, तब आपातकाल के दौरान जेल में रहे मीसाबंदियों के लिए ‘लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक-2018’ पास कर दिया गया। हंगामा नहीं होता तो सरकार को इस पर चर्चा करना पड़ता। विपक्ष ने दावा किया है कि कांग्रेस की सरकार आई तो इस कानून में संशोधन करेगी।
जरूरत क्यों और फायदा किसे
इस विधेयक की सबसे अधिक जरूरत सत्तारूढ़ भाजपा को है। आपातकाल यानी 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का समय। इस दौरान तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा के ही सबसे अधिक सदस्य जेल भेजे गए थे, इसलिए भाजपा सरकार ने प्रदेश में ऐसे मीसाबंदियों के लिए पेंशन की पात्रता 25000 रुपए प्रति माह रखी। एक दिन भी जेल में बंद रहने पर पेंशन व अन्य सुविधा देना तय किया। अब पांच महीने बाद नवंबर में चुनाव होना है।
भाजपा सरकार को आशंका है कि यदि कांग्रेस की सरकार आती है तो मीसाबंदियों की पेंशन व अन्य सुविधा में कमी की जा सकती है। क्योंकि, अभी तक यह वर्ष-2008 से जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत दिए जा रहे थे। इन नियमों को कभी-भी बदला जा सकता था, लेकिन अब विधानसभा में संशोधन विधेयक लाए बिना ऐसा नहीं हो सकेगा।
यह है लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक में
पात्रता में मध्यप्रदेश का मूल निवासी व आपातकल में राजनीतिक और सामाजिक कारण से मीसा या डीआइआर में जेल या पुलिस थाने में रहना। बंद रहने की अवधि का उल्लेख नहीं है। यानी कोई थोड़ी देर या एक दिन भी जेल में रहा तो पात्र है। हालांकि, यह लिखा है कि अवधि सरकार समय-समय पर निर्धारित करेगी। अंतिम संस्कार के समय सम्मान व चिकित्सा और अन्य सुविधा पति-पत्नी के लिए नियम के मुताबिक तय की। आजीवन पेंशन पात्रता।
अब आगे क्या कदम
विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार आती है इसका क्रियान्वयन होगा। कांग्रेस सरकार आती है तो वह इसमें संशोधन के कदम उठा सकती है। नेता-प्रतिपक्ष अजय सिंह हंगामे के बीच सदन स्थगित होने पर कह चुके हैं कि जो विधेयक लाए गए हैं उनका कांग्रेस सत्ता में आने पर परीक्षण करेगी। जो गलत होगा, उसे हटाया जाएगा।
मंत्री गेहलोत उलझे
केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत मीसाबंदी पेंशन को लेकर विवाद में उलझे थे। एक मीसाबंदी ने शिकायत की थी कि गेहलोत आपातकाल के दौरान केवल 13 दिन जेल में रहे, लेकिन पेंशन पाने के लिए कागजों पर 54 दिन अवधि बता दी। जबकि, नियम के मुताबिक एक महीने जेल में रहने पर ही पेंशन की पात्रता थी। इस पर विवाद हुआ तो सरकार ने नियम बदल दिए।
सरकार ने हंगामे के बीच गुपचुप तरीके से लोकतंत्र सेनानी सहित अन्य विधेयक पारित करा लिए। इन पर चर्चा होती तो विधेयकों की सच्चाई खुल जाती। इस कारण सरकार चर्चा से बची।
- बाला बच्चन, कांग्रेस विधायक व कार्यकारी अध्यक्ष
Published on:
28 Jun 2018 09:08 am
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