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इस बार मेड इन इंडिया की राखियों का बाजारों में दबदबा

चायनीज राखियां होने लगी बाजारों से गायब, कई व्यापारी सिर्फ भारतीय राखियों की ही कर रहे बिक्री

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इस बार मेड इन इंडिया की राखियों का बाजारों में दबदबा

भोपाल. बदलते समय और जागरुकता के साथ-साथ लोगों की सोच में भी बदलाव आने लगा है। कुछ सालों पहले राखियों के बाजार पर भी चाइना का कब्जा हो गया था, लेकिन इस बार राखी के बाजार में चाइना का दखल लगभग खत्म होता दिखाई दे रहा है। इस साल मेड इन इंडिया यानी भारतीय राखियों का बाजारों में दबदबा है। व्यापारियों का भी कहना है कि पिछले दो सालों से चाइनीज राखियां की डिमांड घटने लगी थी और लोग भी भारतीय राखियां ही ज्यादा पसंद करते थे, इसलिए उन्होंने चाइनीज राखियां मंगवाना बंद कर दी हैं।

रक्षाबंधन की दस्तक शहर के बाजारों में दिखाई देने लगी है। राखी के बाजार सजकर तैयार हो गए हैं और खरीदारी का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इस बार भी बाजारों में कई वैरायटियों में राखियां उपलब्ध हैं। इनकी कीमत पांच रुपए से 300 रुपए प्रतिनग तक है। इस बार स्वदेशी भारतीय राखियां अधिक पसंद की जा रही हैं। बच्चों को जहां टेडी बियर, बाल गणेश, डोरेमान जैसी राखियां लुभा रही है, तो बड़ों के लिए स्टोन, मेटल, सूती राखियां ज्यादा पसंद की जा रही है।

चायनीज राखियों की डिमांड नहीं

राखी विक्रेता भूरा भाई ने बताया कि हमारे पास 5 रुपए से 200 रुपए तक की राखियां उपलब्ध हैं। हम राजकोट, मुंबई, कोलकाता से राखियां मंगाते हैं। इस बार स्टोन, मेटल की राखियां ज्यादा पसंद की जा रही है, चायनीज राखियां न हम रखते हैं, और न ही मार्केट में इसकी ज्यादा डिमांड है। विक्रेता कमल वाधवानी का कहना है कि हमारे पास फेंसी राखियोंकी अनेक वैरायटियां हैं। चायनीज राखियां ज्यादा नहीं चलती है, हमारे पास भी अगर होगी तो बच्चों के थोड़े बहुत पीस होंगे। विक्रेता अब्बू भाई ने बताया कि पिछले दो तीन सालों से चायनीज राखियां रखना ही बंद कर दिया है, क्योकि इसे लेकर ग्राहक कई तरह की शिकायत करते थे। अब हम अहमदाबाद, कोलकाता से खुद ही कच्चा माल लाकर घर पर राखियां तैयार करते हैं।

भारतीय राखियां ही पसंद
ग्राहक प्रियंका ने बताया कि उन्हें चंदन की राखी बहुत पसंद है। दो साल पहले उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए चायनीज राखी खरीदी थी, लेकिन पहनने के एक दो दिन बाद पानी के कारण धागे का लाल रंग भाई की कलाई पर लग गया था, उसके कारण उसकी कलाई में छोटे दाने उभर आए थे और हाथ में खुजली हो गई थी। उसके बाद से हमने चायनीज राखी से तौबा कर ली, पिछले दो सालों से मैं चंदन की भारतीय राखी ही खरीदती हूं।