
फोटो सोर्स- पत्रिका/वीकी
MP News: मध्य प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में बड़े फेरबदल की तैयारी चल रही है। राज्य के संभाग, जिलों और तहसील की सीमाओं के पुनर्गठन किया जा सकता है। यदि सबकुछ ठीक रहता है तो प्रदेश को एक नया संभाग और तीन नए जिले मिल सकते हैं। वहीं, राजधानी भोपाल में भी तहसीलों का पुनर्गठन किया जाएगा।
दरअसल, पूरी प्रक्रिया राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग के द्वारा पिछले वर्ष से की जा रही है। आयोग का दावा है कि जल्द से जल्द सीमांकन का काम पूरा कर लिया जाएगा, क्योंकि जनगणना से पहले प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं का निर्धारण करना अनिवार्य है। आयोग लगातार जिले दर जिले बैठकें ले रहा है।इन बैठकों में जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक सुविधा को प्रमुख आधार माना गया है। इसकी तर्ज पर ही नए संभाग, जिला और तहसील का गठन किया जाएगा।
पुनर्गठन आयोग ने सीमांकन करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (IIPA) से तकनीकी सहयोग लिया गया है। ड्रोन और सैटेलाइट सर्वे की मदद से सटीकता से सीमांकन कार्य किया जा रहा है। सर्वे पूरा करने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग के पास भेजी जाएगी। फिर आयोग नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर सरकार के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करेगा।
राज्य में - पिपरिया, बीना और सीहोरा के जिला बनने की सबसे प्रबल संभावनाएं हैं। और निमाड़ मध्यप्रदेश का 11वां संभाग बन सकता है। भोपाल में 8 नई तहसीलों के गठन की प्रक्रिया भी जारी है। इधर, मैहर-रीवा में सीमाओं में बदलाव की तैयारी है।
पिपरिया, नर्मदापुरम जिले में आता है। बात करें दूरी की तो जिला मुख्यालय से पिपरिया की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है। पहाड़ी इलाका होने के कारण स्थानीय लोगों को यात्रा करने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है। पिपरिया को जिला बनाने के लिए कई बार धरना-प्रदर्शन किए जा चुके हैं।
जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील को जबलपुर से विभाजित कर नया जिला बनाने की तैयारी है। करीब 22 सालों से स्थानीय लोगों के द्वारा धरना-प्रदर्शन किए जा चुके हैं। अक्टूबर के बाद सीहोरा के स्थानीय लोगों ने खून से दीपक जलाकर जिला बनाने की मांग उठाई थी। वर्तमान में भी सिहोरा को जिला बनाने की मांग को लेकर सिहोरा में आंदोलन चल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 'यदि शीघ्र निर्णय नहीं हुआ तो नौ दिसंबर से अन्न के साथ जल त्याग कर आमरण सत्याग्रह किया जाएगा। ये संघर्ष तब तक चलेगा, जब तक सिहोरा को उसका ''हक'' जिला नहीं मिल जाता।'
बुंदेलखंड के सागर जिले की बीना तहसील को जिला बनाने की मांग कई सालों पुरानी है। ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल हो गई थीं, लेकिन खुरई को जिला बनाने की लॉबिंग हो गई थी।
प्रदेश का 11वां संभाग निमाड़ को बनाने की तैयारी है। अगर निमाड़ संभाग बनता है कि इसमें खरगोन, बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर जिले शामिल हो सकते हैं। वर्तमान में यहां के स्थानीय लोगों को राजस्व और अपील संबंधी कार्यों के लिए इंदौर तक जाना पड़ता है। जिससे अतिरिक्त समय और आर्थिक भार आता है।
वर्तमान की बात करें तो भोपाल में तीन तहसीलें हैं। जो- हुजूर, कोलार और बैरसिया हैं। पांच नई तहसीलों के गठन से स्थानीय लोगों का कामकाज प्रभावित नहीं होगा। नई तहसीलों में पुराना भोपाल, संत हिरदाराम नगर, एमपी नगर, गोविंदपुरा और टीटी नगर शामिल होगा।
रीवा-मैहर जिलों की सीमाओं पर बदलाव की तैयारी है। आयोग ने मैहर कलेक्टर को एक पत्र भेजा गया था। जिसमें आयोग की तरफ से मैहर जिले की अमरपाटन तहसील के छह गांवों- मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा को रीवा जिले में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। जिसके बाद सतना सांसद गणेश सिंह ने सीएम डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर इन गांवों को रीवा में शामिल करने का विरोध जताया। उन्होंने पत्र के माध्यम से तर्क दिया था कि इससे मैहर जिले का भौगोलिक और सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा।
बता दें कि, 1 सितंबर 2024 को होने वाली कैबिनेट बैठक में बीना और जुन्नारदेव को नए जिले बनाने का ऐलान होने वाला था। जब दो नए जिलों के पुनर्गठन की खबर फैली तो बाकी दूसरी जगहों पर विरोध तेज हो गया। इसके चलते कैबिनेट बैठक में नए जिलों पर मुहर नहीं लग पाई। सीएम डॉ मोहन यादव ने 9 सिंतबर 2024 को कहा कि हमने सरकार बनाई थी तो इस बात ध्यान दिया कि भौगोलिक दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश है। क्षेत्रफल तो बड़ा है, लेकिन समय के साथ उसमें कुछ कठिनाइयां भी हैं। जिले तो बढ़ गए हैं, लेकिन सीमाओं को लेकर विसंगतियां हैं।
बीते दिनों मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी विभाग अध्यक्षों की बैठल ली थी। जिसमें उन्होंने निर्देश दिए थे कि जो परिवर्तन किए जाने हैं वह 31 दिसंबर 2025 तक कर लिए जाएं। प्रशासनिक सीमाएं और इकाइयों को फ्रीज कर लिया जाएगा और जनगणना तक कोई बदलाव नहीं किए जाएंगे।
पुनर्गठन आयोग लगातार जिलों में बैठकें लेकर सर्वे रिपोर्ट पर समीक्षा कर रहा है। 31 दिसंबर से सभी जिलों की प्रशासनिक सीमाएं और इकाइयां फ्रीज कर दी जाएंगी। यानी अगर 31 दिसंबर से पहले नए जिले या संभाग अस्तित्व में नहीं आते हैं तो फिर इनके अस्तित्व में आने की संभावना मार्च 2027 के बाद ही है। क्योंकि देशभर में दो चरणों में जनगणना की जाएगी। जिसका पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 से शुरु होगा और दूसरा चरण फरवरी 2027 में समाप्त होगा।
Published on:
17 Dec 2025 07:00 am
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special News
ट्रेंडिंग
AQI : दिल्ली की हवा ही नहीं पानी भी खराब, बिहार का नरकटियागंज क्यों बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर?

