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AQI : दिल्ली की हवा ही नहीं पानी भी खराब, बिहार का नरकटियागंज क्यों बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर?

दिल्ली का AQI लेवल कोरोना काल को छोड़कर पिछले कुछ दशकों से लगातार खराब बना हुआ है। यहां का AQI लेवल 300-700 के बीच बना रहता है। हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि राजधानी दिल्ली के कई इलाकों के भूजल में भारी तत्व पाए गए हैं। पढ़िए, क्या कहते हैं विशेषज्ञ...

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Delhi AQI

दुनिया में सबसे ज्यादा AQI नरकटियागंज का पाया गया। (Photo: IANS)

Most Polluted City of World: दिल्ली समेत भारत के कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Delhi AQI) बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में आज नरकटियागंज पहले पायदान है, जबकि दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: गाजीपुर और रेवाड़ी हैं।

Narkatiaganj दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

आज की तारीख में हम दुनिया के सबसे 10 प्रदूषित शहरों की सूची तैयार करें तो एक्यूआई के मामले में सबसे टॉप पर बिहार का नरकटियागंज 788 और 10वें स्थान पर कपूरथला (445) है। दोनों ही शहरों की हवा खतरनाक स्तर को पार चुकी है। बिहार के वायु प्रदूषण के बारे में पत्रकार पुष्यमित्र बताते हैं कि प्रदूषण को लेकर राज्य के कई शहरों का नाम आना कोई नई बात नहीं है।

'सर्दी में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है'

पुष्यमित्र का कहना है कि पाकिस्तान के लाहौर और कराची से जो प्रदूषित हवा चलती है, वह बंगाल की खाड़ी तक आकर रुक जाती है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ता है। यही वजह है ​कि देश के सबसे प्रदूषित शहरों में हिमालय के नीचे के इलाके पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के शहर शामिल हो जाते हैं।

पुष्यमित्र का कहना है कि बिहार के हर जिले में तीन-चार पॉल्यूशन मॉनिटरिंग मीटर लगाए गए हैं। यह काम प्रखंड के स्तर तक किया गया है। इसके चलते ​पिछले कुछ सालों में बिहार के शहर प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार होने लगे हैं। उनका कहना है कि सर्दियों में नमी की वजह से यहां वायु प्रदूषण टिक जाता है। अगर सर्दी दूर करने के लिए पुआल जलाया जाता है, तो उसका धुआं 50 ​मीटर के दायरे में ही टिक जाता है, जो वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने का काम करता है।

दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर

क्रमांकशहरAQI
1नरकटियागंज788
2गाजीपुर770
3रेवाड़ी557
4कठुआ503
5अमृतसर502
6झारग्राम489
7साहिबजादा अजीत सिंह नगर487
8समालखा477
9शकरगढ़, पाकिस्तान451
10कपूरथला445

25वें पायदान वाले शहर की हवा भी खतरनाक

प्रदूषित शहरों की इस सूची को बड़ा करें तो 25वें स्थान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बागपत का नाम आता है। बागपत का एक्यूआई भी आज 381 स्तर पर है। स्वास्थ्य के लिहाज से यहां की हवा भी जहरीली है।

'9-10 महीने में किसी सरकार के लिए AQI कम करना असंभव' ​

दिल्ली देश की राजधानी है, इसलिए इसकी चिंता सर्वोपरी होनी स्वाभिक है। हालांकि दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक को लेकर दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने दिल्ली के लोगों से वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं ला पाने के लिए माफी मांगी और कहा, 'किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए 9-10 महीने में AQI कम करना असंभव है।' उन्होंने लागों को आश्वस्त करते हुए कहा, 'रेखा सरकार इस समस्या को ठीक करने के लिए काम कर रही है।'

दिल्ली में पानी ही नहीं भूजल भी हो चुका है दूषित

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक के खतरनाक स्तर तक जाने की चिंता में पूरा देश डूबा हुआ है। लेकिन इस बीच दिल्ली में भूजल में भारी रसायनों के शामिल होने की रिपोर्ट भी सामने आई है जो 'दिल्ली के स्वास्थ्य' को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (CGWB) के सर्वे में खुलासा हुआ है कि राजधानी के कई इलाकों के भूजल में यूरेनियम, नाइट्रेट, फ्लोराइड, लेड और अत्यधिक नमक आदि खतरनाक रसायनिक तत्व भारी मात्रा में मौजूद पाए गए हैं। भूजल के दूषित होने से यह स्वाद बिगाड़ने के साथ ही साथ कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।

'यूरेनियम गुर्दों, हड्डियों को काफी नुकसान पहुंचाता है'

सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली के भूजल में यूरेनियम का लेवल काफी बढ़ चुका है। राजधानी के बहुत सारे इलाकों में पीने के पानी के लिए काफी मात्रा में बोरिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। पानी में यूरेनियम मिलने की वजह सीवर का गंदा पानी भूजल में मिलना है। हड्डी रोग विशेष डॉ. आरिफ फारूखी बताते हैं कि पानी के जरिए शरीर में यूरेनियम इकट्ठा होने लगता है, तो यह किडनी, हड्डियों और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा दांत और हड्डियों को कमजोर बनाती हैं।

लेड बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक: डॉ. आरिफ

दिल्ली के पानी में यूरेनियम के अलावा नाइट्रेट, फ्लोराइड, लेड और ज्यादा नमक भी पाया गया है। भूजल में सीवर का गंदा पानी प्रवेश करने और खेतों में यूरिया के उपयोग में लाए जाने से पानी में नाइट्रेट की मात्रा में इजाफा हुआ है। पानी में लेड की मात्रा बढ़ने का असर मेंटल ग्रोथ पर पड़ने लगता है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। वहीं डॉ. आरिफ बताते हैं कि पानी में नमक की मात्रा ज्यादा होने से इसका असर हमारे पाचन तंत्र और गुर्दा पर पड़ने लगता है।