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राजस्थान में रील बनाने की सनक बेकाबू: व्यूज-लाइक्स के चक्कर में इस तरह मौत से खेल रहे युवा, क्या है इसके पीछे की वजह

रील बनाने की सनक में युवा जानलेवा जगहों को शूटिंग स्पॉट बना रहे हैं। रील के लिए खतरनाक स्टंट करने वालों में 18 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। जानिए क्या है इसके पीछे की वजह-

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जयपुर। राजस्थान सहित देश में रील और वीडियो बनाने का क्रेज अब मनोरंजन नहीं, बल्कि जानलेवा जुनून बनता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल होने और ज्यादा व्यूज बटोरने की होड़ में युवा खुलेआम अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। कुछ सेकंड की रील, हजारों लाइक्स और फॉलोअर्स के लालच में यह लोग सुरक्षा के हर नियम को ताक पर रख रहे हैं।

राजस्थान में जून माह में एक बहुत ही हैरान करने वाला मामला सामने आया था, जिसमें रील बनाने के लिए एक युवक रेल की पटरी पर लेट गया था। ट्रेन उसके ऊपर से निकल गई। इसका पूरा वीडियो इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया। वीडियो में दिख रहा है कि युवक पटरियों पर लेटा है और ऊपर से ट्रेन से गुजर रही है। मामला सामने आया तो युवक को बालोतरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

सोशल मीडिया पर वायरल होने की यह होड़ जानलेवा साबित होने लगी है। लाइक और व्यूज के चक्कर में युवा खतरनाक स्टंट कर रहे हैं, जिनमें कई बार उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। राजस्थान के बालोतरा, जयपुर, अलवर, उदयपुर सहित कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं।

रील शूट करने के सबसे खतरनाक हॉटस्पॉट

रील बनाने की सनक में युवा जानलेवा जगहों को शूटिंग स्पॉट बना रहे हैं। रेल की पटरी और मेट्रो ट्रैक पर स्टंट, बांध-नदी-नालों, झीलों व झरनों में खतरनाक हरकतें, ट्रेन के गेट पर लटककर वीडियो, ट्रैफिक के बीच और तेज रफ्तार बाइकों पर स्टंट, हथियारों के साथ रील, पहाड़ी इलाकों और गहरी खाइयों, ऊंची चट्टानों पर खड़े होकर वीडियो बनाना, फिसलन भरे रास्तों पर बाइक स्टंट और गहरे पानी के पास खड़े होकर रील्स रिकॉर्ड करना आम होता जा रहा है। कई जगह चेतावनी बोर्ड लगे होने के बावजूद लोग इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।

कौन है सबसे ज्यादा प्रभावित

रील के लिए खतरनाक स्टंट करने वालों में 18 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। इनमें कॉलेज छात्र, बेरोजगार युवा और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनने की चाह रखने वाले लोग शामिल हैं। इसके अलावा 16 से 18 वर्ष के नाबालिग भी इस ट्रेंड की चपेट में आ रहे हैं, जो और भी चिंता का विषय है।

जानकारी के अनुसार, पिछले एक साल में राजस्थान में सैकड़ों लोग रील्स बनाते समय हादसों का शिकार हो चुके हैं। इनमें से कई को गंभीर चोटें आईं, जिनमें हाथ-पैर टूटना, सिर में गहरी चोट और पानी में गिरने के मामले शामिल हैं। कुछ घायलों को लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ी।

क्या कहते हैं सोशल मीडिया विशेषज्ञ

सोशल मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर वायरल ट्रेंड्स युवाओं पर मानसिक दबाव बना रहे हैं। एक वीडियो के वायरल होते ही दूसरे लोग उससे ज्यादा खतरनाक कंटेंट बनाने की कोशिश करते हैं। यही प्रतिस्पर्धा स्टंट को और जोखिम भरा बना रही है, जिससे हादसों की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

सोशल मीडिया विशेषज्ञ आशीष शर्मा का कहना है कि रील की सनक अब खतरनाक होती जा रही है। ज्यादा व्यूज और लाइक पाने की चाहत में लोग खतरनाक स्टंट और जोखिम भरे वीडियो बना रहे हैं, जिससे कई बार जान तक चली जाती है।

ऐसे हादसों को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सख्त नीतियां बनाई हैं। खतरनाक कंटेंट को हटाने, उसकी पहुंच सीमित करने और अकाउंट पर कार्रवाई की जाती है।

एआई तकनीक से ऐसे वीडियो पहचानने की कोशिश होती है और यूजर रिपोर्टिंग का विकल्प भी दिया गया है। हालांकि, तेजी से वायरल होते कंटेंट पर पूरी तरह नियंत्रण अब भी चुनौती बना हुआ है।

प्रशासन और पुलिस की सख्ती

राजस्थान पुलिस और प्रशासन ने इस बढ़ते खतरे को गंभीरता से लिया है। संवेदनशील पर्यटन स्थलों, पहाड़ी इलाकों और जल स्रोतों के आसपास निगरानी बढ़ाई जा रही है। बिना अनुमति खतरनाक स्टंट करने वालों पर चालान, कानूनी कार्रवाई की तैयारी है। पुलिस का कहना है कि लोगों की जान से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

राजस्थान: पर्यटकों में गलत संदेश जा रहा

राजस्थान के उदयपुर, अजमेर, कोटा जैसे शहरों की पहचान शांत, सुरक्षित और सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में है। लेकिन रील के लिए किए जा रहे जानलेवा स्टंट इस छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे पर्यटकों में गलत संदेश जा रहा है और कई बार आम लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।

अभिभावकों और समाज की जिम्मेदारी

केवल प्रशासनिक कार्रवाई काफी नहीं है। अभिभावकों को बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है। स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल अवेयरनेस प्रोग्राम चलाकर युवाओं को यह समझाना जरूरी है कि कुछ सेकंड की रील किसी की पूरी जिंदगी से ज्यादा कीमती नहीं हो सकती।

एक रील नहीं, जिंदगी जरूरी

अब सवाल यही है? क्या वायरल होने की चाहत इंसानी जान से बड़ी है? समय रहते अगर इस सोशल मीडिया सनक पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।

डेटा क्या कहता है?

  • स्थानीय स्तर पर किए गए डिजिटल आकलन और स्कूल-कॉलेज से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रदेश के लाखों युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय।
  • इनमें से लगभग 60 से 70 प्रतिशत युवा इंस्टाग्राम रील्स से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, यानी या तो वे नियमित रूप से रील्स देखते हैं या खुद रील्स बनाते हैं।
  • अनुमान है कि इनमें से करीब 25 से 30 हजार युवा ऐसे हैं जो नियमित रूप से रील्स अपलोड करते हैं।
  • सबसे ज्यादा सक्रिय वर्ग 18 से 30 वर्ष की उम्र का है, जिसमें कॉलेज छात्र और नए सोशल मीडिया क्रिएटर शामिल हैं।

एक्सपर्ट की राय

रील का बढ़ता प्रभाव युवाओं को तेजी से जोखिम भरे फैसले लेने की ओर धकेल रहा है। 16 से 30 वर्ष की उम्र के युवा लाइक्स, व्यूज और फॉलोअर्स को अपनी सफलता का पैमाना मानने लगे हैं, जिसके कारण वे खतरे को नजरअंदाज कर देते हैं। रील पर मिलने वाली तात्कालिक लोकप्रियता दिमाग में एड्रेनालिन और संतुष्टि पैदा करती है, जिससे युवा बार-बार और ज्यादा खतरनाक स्टंट करने के लिए प्रेरित होते हैं। समय रहते डिजिटल अवेयरनेस जरुरी है ।

  • डॉ दलजीत सिंह राणावत, मनोचिकित्सक

पेरेंट्स की चिंता

बच्चों को रोकने से ज्यादा जरूरी है उनसे बात करना। उन्हें समझाना होगा कि लाइक्स और व्यूज से ज्यादा कीमती उनकी जान है। हर मां-बाप यही चाहता है कि बच्चा सुरक्षित घर लौटे।

  • रेणुका औदिच्य

हम चाहते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी ऐसी खतरनाक रील्स को बढ़ावा न दें। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह ट्रेंड और जानलेवा साबित हो सकता है।

  • भगवती लाल