29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Election 2023: एमपी में सियासी खींचतान, 180 प्रत्याशियों के नाम दांवपेच में अटके, देखें डिटेल्स

मध्यप्रदेश चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की 180 सीटों पर समीकरणों ने उलझा दिए नाम..।

3 min read
Google source verification

भोपाल

image

Manish Geete

Oct 18, 2023

election1111.png

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की 94 सीटें तो कांग्रेस की 86 सीटें सियासी समीकरणों में उलझ कर अटकी है। इनमें 37 सीटें तो ऐसी हैं, जहां पर दोनों ही दलों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। अटकी हर सीट पर समीकरणों की उलझन ने टिकटों को रोक दिया है। कहीं पर एक पार्टी दूसरे के टिकट को देखना चाहती है, तो कहीं पर मौजूदा विधायकों की खराब परफॉर्मेंस ने नींद उड़ा दी है। भाजपा में 67 मौजूदा विधायकों की और 27 सीटें हारी वाली हंै। इनमें नौ मंत्रियों की सीट भी शामिल हैं। इनमें कहीं पर दावेदारों की भीड़ ने मामला उलझा दिया है, तो कहीं पर खराब फीडबैक से टिकट कट सकता है। इसी तरह कांग्रेस में भी सियासी समीकरणों के दांवपेंच ने टिकटों को अटका दिया है। पढि़ए, विशेष रिपोर्ट...

३७ सीटों पर दोनों की टकटकी ्रप्रदेश की 37 सीटों पर कांग्रेस-भाजपा ने नाम रोक रखे हैं। इनमें से 28 पर भाजपा, सात पर कांग्रेस, एक पर बसपा और एक पर निर्दलीय विधायक है। माना जा रहा है कि दोनों दल इन सीटों पर एक-दूसरे की सूची का इंतजार कर रहे हैं।

भाजपा की अटकी सीटें

भोपाल दक्षिण पश्चिम: दोनों ओर से टिकट रुके हैं। भाजपा में उमाशंकर गुप्ता की जगह युवा चेहरे को टिकट दिया जा सकता है। यहां आधा दर्जन गंभीर दावेदार हैं।
दमोह: जयंत मलैया 2018 में हारे थे। उपचुनाव में राहुल लोधी कांग्रेस के अजय टंडन से हारे। राहुल, जयंत व पुत्र सिद्धार्थ दावेदार हैं। शुजालपुर: मंत्री इंदर सिंह परमार सीट बदलना चाहते थे, लेकिन पार्टी राजी नहीं है। सर्वे में इनका फीडबैक ठीक नहीं आया है।
शिवपुरी: मंत्री यशोधरा खुद चुनाव लडऩे से इनकार कर चुकी हैं। अब करीब छह दावेदार हैं। संगठन के युवा चेहरे को टिकट मिल सकता है।
बालाघाट: मंत्री गौरीशंकर अपनी पुत्री मौसमी का टिकट चाहते हैं। पार्टी उनको ही ज्यादा मजबूत मानती है, लेकिन अब उनकी पुत्री पर प्रारंभिक रूप से पार्टी सहमत हो गई है। इसलिए टिकट दे सकती है।
होशंगाबाद: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की सीट भी स्थानीय विरोध के समीकरण में उलझी है। यहां सीतासरन का विरोध हुआ है, लेकिन वे ही प्रमुख व मजबूत दावेदार हैं। पिछली बार सीतासरन ने पूर्व मंत्री सरताज सिंह को हराया था।
भोजपुर: पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा का टिकट अटका है। सुरेंद्र की विभिन्न विवादों व बैंक कर्ज न चुकाने के मामले में एफआइआर के बाद छवि खराब होना है।
महू: मंत्री उषा ठाकुर का टिकट रुका है। इनकी सीट बदलने की इच्छा है। वे इंदौर लौटना चाहती हैं।
इंदौर-3 से आकाश विजयवर्गीय का टिकट कट सकता है। इसलिए उषा के इस सीट पर आने की संभावना है।
इंदौर-5: पूर्व मंत्री महेंद्र का टिकट अटका है। इनका गणित उषा के सीट बदलने से भी प्रभावित होना है। उस पर सर्वे में इनका भी परफॉर्मेंस ठीक नहीं आया है। इसलिए टिकट खतरे में है। कांग्रेस की फंसी सीटें भोपाल दक्षिण-पश्चिम: पूर्व मंत्री पीसी शर्मा विधायक हैं। यहां संजीव सक्सेना की दावेदारी ने टिकट उलझा दिया।
भोपाल उत्तर: आरिफ अकील कांग्रेस विधायक हैं। स्वास्थ्य खराब होने से बेटे को टिकट चाहते हैं। भाई भी दावेदार हैं। इसी में टिकट उलझा है।
आमला : छतरपुर जिले से डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा दे चुकीं निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। मामला कोर्ट में हैं। कांग्रेस फैसले का इंतजार कर रही है।
दिमनी : भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उतारा है। इस सीट पर अब तक कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला है। दूसरे दलों के नेताओं से बातचीत चल रही है।
भोजपुर: पिछली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भाजपा के सुरेंद्र पटवा से हारे थे। इस बार चेहरा तय नहीं हो सका।
बुरहानपुर: अभी निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा हैं वे कांग्रेस के समर्थक हैं। टिकट अभी रोका है। इनका फीडबैक ठीक नहीं आया।
होशंगाबाद: इस सीट को गिरजाशंकर शर्मा के लिए रोककर रखा है। ये भी भाजपा से कांग्रेस में आए हंै। स्थानीय दावेदार भी हैं।
खातेगांव : पूर्व मंत्री दीपक जोशी की सीट रही है। भाजपा से आए हैं। इनके लिए इस सीट को रोक रखा है।
बदनावर: पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत भी भाजपा छोड़ कांग्रेस में आ चुके हैं। इनके लिए इस सीट को रोक रखा है।