
मध्यप्रदेश में आसानी से पूरा होगा घर का सपना।
मध्यप्रदेश में घर बनाने के लिए आर्किटेक्ट के साथ ही नगर निगम और नगर पालिका से परमिशन के लिए बार-बार चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। प्लाट मालिक निर्धारित मापदंड के हिसाब से शुल्क जमा करके भवन बना एंगे तो अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार के नए नियमों के मुताबिक अब 2000 वर्ग फीट तक का मकान बगैर बिल्डिंग परमिशन लिए बनाया जा सकता है।
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने पिछले साल यह बड़ा फैसला लेते हुए लोगों को बड़ी राहत दी थी। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया था कि सरकार के इस फैसले से मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक एक हजार वर्ग फीट के मकान के लिए परमिशन लेने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि इस सुविधा के लिए मध्यप्रदश सरकार ने मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन किया है। इसके तहत डीम्ड परमिशन के प्रावधान में इजाफा प्लाट साइज को 105 वर्गमीटर बढ़ाकर 186 वर्गमीटर तक कर दिया गया है। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना जारी करते हुए लोगों से 15 दिन में सुझाव और आपत्तियां मांगी गई है। यह सुविधा शुरू होने से भोपाल जैसे शहर में बिल्डिंग परमिशन शाखा का 90 फीसदी काम खत्म हो जाएगा।
पहले 105 वर्गमीटर यानि एक हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा के प्लाट पर घर बनाने के लिए डिम्ड अनुमति मिलती थी। डीम्ड अनुमति यानी आर्टिकेट ही अपने स्तर पर दस्तावेजों के आधार पर नियमों के तहत अनुमति दे देता था। अब इसका प्लाट साइज का आकार बढ़ा दिया है। अब 105 वर्गमीटर को बढ़ाकर 186 वर्गमीटर कर दिया गया है। यानी अब दो हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा का प्लाट है तो डीम्ड मंजूरी लेना होगी।
अब तक लोगों को एक हजार स्क्वायर फीट से अधिक बड़े प्लाट पर अनुमति लेने के लिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में तमाम दस्तावेजों के साथ आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद संबंधित निरीक्षण अधिकारी दस्तावेजों का परीक्षण करते हैं और उसके बाद अनुमति मिलती है। अब 186 वर्गमीटर प्लाट पर भी आवास बनाने के लिए डीम्ड अनुमति मिल जाएगी। अब 186 वर्ग मीटर प्लाट के मालिक को सभी दस्तावेज किसी भी आर्किटेक्ट को देना होंगे। आर्किटेक्ट दस्तावेजों के आधार पर घर का नक्शा जारी कर देगा और आपको सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
राजधानी भोपाल के सरकारी रिकॉर्ड में 576 अवैध कॉलोनियां हैं। वहीं इंदौर में भी 900 अवैध कॉलोनियां हैं। अब नए कानून के बाद इन्हें वैध नहीं किया जा सकता है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने उन्हें वैध करने की घोषणा 1 दिसंबर 2022 को की थी। आदेश भी जारी हुआ था। इनके अलावा भोपाल में 256 कालोनियों पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। कई पॉश इलाकों में जहां बस्तियों जैसी अवैध बसाहट है। इन कालोनियों में बिजली, पानी, सड़क और ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।
Updated on:
05 Mar 2025 05:14 pm
Published on:
19 Mar 2024 01:14 pm
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